पूरा देश ही नहीं विश्व कोरोना जैसी महामारी के संकट से जूझ रहा है। इस बीच हमारे भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की हिम्मत, जोश और जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। बाड़मेर के गरल की बेटी राजेश्वरी भी अपनी खुद और पेट में पल रहे मासूम की जान से खेल इस कोरोना महामारी में जनता की सेवा कर अनूठी मिसाल कायम कर रही है। एएनएम राजेश्वरी वर्तमान में पाली के देसूरी पहाड़ी इलाके में कोट सोलंकियान में सब सेंटर पर कार्यरत है। 2009 में पोस्टिंग के बाद वहीं सेवा दे रही है।
2009 में लगी थी नौकरी
अब नौ माह की गर्भवती है, इस दर्द के दौर में भी मानव सेवा का जोश और जज्बा कम नहीं है। असहनीय दर्द और पीड़ा के बावजूद राजेश्वरी कोरोना महामारी में अपने गांव में घर-घर सर्वे और यूपी, पूना, बॉम्बे और महाराष्ट्र से आए 177 लोगों को होम आइसोलेशन किया है। बाड़मेर जिले के गरल की बेटी राजेश्वरी चौधरी पुत्री जोधाराम की 2009 में कोट सोलंकियान में एएनएम की नौकरी लगी थी। इसके बाद उसी जगह सेवा कर रही है।
अधिकारियों ने बोला छुट्टी ले लो, खुद ने कहा दर्द को सहने की क्षमता है
गर्भावस्था में जहां महिलाएं घरों से बाहर निकलने में संकोच करती है, उस परिस्थिति में राजेश्वरी गांव के घर-घर तक पहुंच कोरोना बीमारी के लक्षण जानने व आमजन को जागरूकता का काम कर रही है। चिकित्सा अधिकारियों ने भी राजेश्वरी को अवकाश की सलाह दी, लेकिन राजेश्वरी ने कहा कि अब तक दर्द को सहन करने की क्षमता है। इस मुश्किल दौर में मेरे गांव का साथ नहीं छोड़ सकती है। गांव के लोग हर मुश्किल में मेरे साथ रहते है, अब मुझे भी उनकी सेवा करनी है। जिस सब सेंटर पर राजेश्वरी सेवा दे रही है, वहां भी हर माह 10-12 प्रसव के केस आते है। लॉकडाउन में ऐसे लोगों को भी दूसरे अस्पताल जाने में परेशानी होगी। काम के प्रति निष्ठा के कारण राजेश्वरी कई बार जिला स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी है।
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