कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग की वजह से हुए लॉकडाउन का सभी को काफी नुकसान हो रहा है। इसके चलते एक ओर जहां बड़े-बड़ेउद्योग बंद हो रहे हैं और लोग बेरोजगार हो रहे हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस संकट काल में रोजगार के साथ ही कोरोना युद्ध में योगदान भी कर रहे हैं। आइए जानते है ऐसे ही लोगों के बारे में जो अपने जज्बे से कोरोना की जंग लड़ रहे कोरोना वॉरियर्स की लगातार मदद कर रहे हैं।
थैला बनाने वाली संस्था बना रही मास्क
मुश्किल की इस घड़ी में 'जीवनम' नाम की एक संस्था ने मास्क बनाने का बीड़ा उठाया है। इस संस्था को दीपा नायर वेणुगोपाल चलाती हैं। संस्था की सभी सदस्य महिलाएं मास्क की कमी दूर करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। खास बात यह है कि यह संस्था पहले कपड़ों से थैला बनाती थी। लेकिन अब इन महिलाओं ने ऑनलाइन वीडियो ट्यूटोरियल देखकर कोरोना से लड़ाई के लिए मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है। यहां करीब तीस महिलाएं रोजाना लगभग 200-300 मास्क बनाती हैं।
इसके अलावा यह संस्था हैंड सैनिटाइजर बनाने पर भी विचार कर रही है। इसके लिए सरकार से जरूरी अनुमति लेने का प्रयास जारी है। सरकार से इसकी अनुमति मिलते ही हैंड सैनिटाइजर बनाकर उसे मुफ्त में वितरित करेंगे। इस दौरान सभी महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अपने घरों से ही काम कर रही हैं। एक टीम लोगों को कुछ मास्क मुफ्त में भी बांटती है। साथ ही ये महिलाएं अपने आसपास के लोगों को भी मास्क बनाना सिखा रही हैं।
साठ हजार मास्क बना चुकी आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं
स्वरोजगार और खुद को सक्षम बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई करती भोपाल की आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं भी इस दौरान आगे आई हैं। इस संगठन से जुड़ी करीब 169 महिलाओं ने कोरोना वॉरियर्स के तौर पर खुद कमान संभाल ली है। मास्क की कमी से जूझ रहे शहर कीमदद के लिए इन महिलाओं ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को संक्रमण से बचाने के लिए मास्क सिलने का काम शुरू किया है। ये महिलाएं भोपाल के आसपास के 22 गांवों से ताल्लुक रखती हैं और रोजाना घर के कामकाज से निपटकर मास्क बनाने पहुंच जाती हैं। यह दस दिन में अब तक साठ हजार मास्क बना चुकी हैं।
इनका मकसद क्षेत्र के हमीदिया अस्पताल, जेके हॉस्पिटल,पुलिस हेडक्वार्टर, नगर निगम, आदिवासी विभाग, प्रशासन, सुल्तानिया अस्पताल, सतपुड़ा भवन, ग्राम पंचायत के साथ-साथ सेना को भी जरूरत के मास्क पहुंचाना है। इतना ही नहीं, यह महिलाएं कोरोना की भयावहता और नुकसान, सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई आदि के विषय में भी लोगों को जागरुक कर रही हैं।
65 महिलाएं समूह में तैयार कर रही मास्क
कन्नौज ब्लॉक के बेहरिन, रजमईमऊ राजा, फगुहा, नथापुर्वा, तेरारब्बू, जलालाबाद ब्लॉक के जलालाबाद, अनौगी, पवपुखरा व उमर्दा ब्लॉक के सुर्सी, अजोरा, अगौस और जैनपुर आदि की 65 महिलाएं समूह में मास्क तैयार कर रही हैं। इनको विकास भवन की ओर से12 अप्रैल से मास्क बनाने का काम दिया गया है। इन्हें कुल 40 हजार मास्क बनाने का लक्ष्य सौंपा गया है। छह से सात के ग्रुप में ये महिलाएं घर का काम करने के बाद रोज आठ घंटे मास्क बनाती हैं।
वहीं, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल भी रखती हैं। एक महिला रोजाना 150 मास्क बना लेती है, जिसके लिए हर एक मास्क पर एक महिला को चार रुपये मिलते हैं। मास्क के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा पर्यावरण के अनुकूल है। तीन से चार घंटे उपयोग के बाद एंटीसेप्टिक युक्त पानी से धोने के बाद सुखाकर इसे फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
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