देशभर में कोरोना वायरस की वजह मौजूदा हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। ऐसे में इसकी रोकथाम में लिए एक ओर प्रधानमंत्रा नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया है, तो वहीं लोग भी इसमें अपने- अपने स्तर पर योगदान दे रहे हैं। लोग कोरोनावायरस के चलते परेशान हैं, और ऐसे में कई लोग हैं जो आशा की किरण बनकर इस वायरस से लड़ने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे है।
सीएम रिलीफ फंड में दी पेंशन
इन्ही लोगों में से एक हैं मिजोरम की रहने वाली पी नघकिलनि। 95 साल की उम्र में इस महिला ने ना सिर्फ अपनी एक महीने की पेंशन चीफ मिनिस्टर रिलीफ फण्ड में दान की, बल्कि हर रोज अपने आसपास रहने वाले डॉक्टरों और नर्सेज के लिए 10-20 वॉशेबल मास्क्स भी बनाती हैं।
उनकी बहु, जोतंगसंगी संगपुई बताती है कि उनकी सास उन लोगों के लिए कुछ करना जो कोरोनावायरस से लड़ाई में शामिल हैं। “मिजोरम में मास्क की कमी है। जो मास्क पहले 10 रुपए के मिलते थे, अब 100-200 के मिलने लगे हैं। ऐसे में उन्होंने सोचा कि इसके लिए डोनेट करना अच्छा होगा। इतनी उम्र होने के बावजूद, उनका हौसला बुलंद है और आँखें भी बिल्कुल ठीक हैं।
इसी जज्बे से हारेगा कोरोना
ये हैं सुखलिया निवासी 80 वर्ष की सुषमा केलकर। इन दिनों घर में रोज मास्क बना रही हैं। अब तक 100 से ज्यादा मास्क बनाकर जरूरतमंदों को नि:शुल्क दे चुकी हैं। सुषमा बाल आश्रम में रहने वाली निराश्रित बच्चियों के लिए नि:शुल्क फ्रॉक बनाती हैं। इसके लिए कपड़ा भी खुद ही लाती हैं। जब से कोरोना महामारी फैली है, उन्होंने मास्क बनाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है सभी लोग मास्क में रहेंगे तो संक्रमण फैलने से रुकेगा।
10,000 रीयूजेबल कॉटन मास्क किए डोनेट
मुझे कुछ दिन एक आईडिया आया कि हमें सांगली पुलिस को 10,000 रीयूजेबल कॉटन मास्क्स डोनेट करने चाहिए। इसके बाद मैंने इस आईडिया को अपनी एक दोस्त नीलिमा को सुनाया और हम इस काम में लग गए। बाद में हमने 1 घंटे से भी कम टाइम में हमें ऐसी 25-30 महिलाओं को अपने साथ जोड़ लिया, जो घर में मास्क बनाने के लिए रेडी थी। हमने ऐसे 10,000 मास्क बनाने का काम पूरा किया” सांगली डिस्ट्रिक्ट में रहने वाली श्रुति दांडेकर आसपास के एरिया में मास्क उपलब्ध कराने के लिए पूरा दिन काम करती हैं ।
उन्होंने बताया कि “जब वह एक बच्ची थी , तो मेरी दादी उन्हें वॉर के बारे में कहानियां सुनाती थीं। उस समय इंडिया में वीमेन सोलजर्स के लिए स्वेटर बनती थी। इसी तरह COVID- 19 के अगेंस्ट इस वॉर में डॉक्टर्स और उनकी टीम हमारे सैनिकों की तरह फ्रंटलाइन पर लड़ रही है ।
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