Tuesday, 28 April 2020

कोरोना-लॉकडाउन पर केंद्र का सुझाव, बच्चों के तनाव को महसूस करें, उपाय करना भी अभी ही जरूरी

महीना से ज्यादा घर में गुजर गया। स्कूल-कॉलेज बंद। शॉपिंग बंद। आउटिंग बंद। हर कोई परेशान है- कब तक यह सब चलेगा? उन्हें कितना खतरा है? जाहिर है, बच्चे भी परेशान हैं। अगर आप निश्चिंत बैठे हैं कि ऐसा नहीं है, तो यह गलत है। संभव है कि बच्चों का तनाव आप समझ नहीं पा रहे हों। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कोरोना-काल में बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए सुझाव जारी किए हैं। पाठकों की सहूलियत के लिए मंत्रालय के सुझावों को भास्कर बच्चों की उम्र के हिसाब से सामने ला रहा है।

हावभाव से समझें हाल

  • ज्यादा चिड़चिड़ा तो नहीं रहा?
  • सामान्य से अधिक रो तो नहीं रहा है?
  • बिस्तर गीला तो नहीं करने लगा है?
  • गुमसुम-अकेला तो नहीं रहने लगा है?
  • पढ़ाई से विमुख तो नहीं हो रहा?
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी तो नहीं?
  • जिससे खुश होता था, उसे छोड़ा है क्या?
  • सिर या शरीर में दर्द तो नहीं है उसे।
  • छिपकर अल्कोहल, तंबाकू आदि तो नहीं ले रहा है।

4-8 वर्ष

  • सकारात्मक रूटीन बनाएं। जल्दी सुलाएं, जल्दी जगाएं। इनके लिए इनडोर गेम रखें। पेंटिंग-कार्टून का भी समय दें।
  • सभी को घर में बंद देखकर इस उम्र के बच्चे असहज होते हैं। ऐसे में इन्हें अपने करीब होने का एहसास कराएं। कुछ पूछें तो प्यार से समझाएं।
  • सुनी-सुनाई बातों की चर्चा यह दोहरा सकते हैं। अफवाहों पर बातें न करें।
  • टीवी पर वह जो देख रहे हैं, उससे गलत जानकारी तो नहीं मिल रही। ध्यान रखें।
  • बच्चे अगर किसी दोस्त, रिश्तेदार या जानकार के लिए चिंतित हों तो इस चिंता को दरकिनार नहीं करें। कॉल या वीडियो कॉल से उन्हें दिखाएं।

9-13 वर्ष

  • मई तक तो शायद ही स्कूल खुलें। ऐसे में समय का महत्व समझाते हुए रूटीन बनाएं।
  • कोरोना की चर्चा से इन्हें डर और चिंता हो सकती है। प्यार से समझाएं। इनके सवालों का सकारात्मक उत्तर दें।
  • बच्चा हमेशा ही जानकारी लेने के मूड में नहीं रहता। इसलिए, उसके मूड और उसकी जरूरत में मुताबिक जानकारी दें।
  • बच्चों को बताएं कि सोशल मीडिया पर कितनी गलत खबरें-बातें चलती हैं। यह सूचनाएं फैलाई जाती हैं। इनपर भरोसा न करें, आपसे समझ लें।
  • बच्चे टीवी पर खबरें भी देखें तो यह नजर रखें कि क्या देखना उनके लिए सही है।

13-16 वर्ष

  • किसी की परीक्षा रह गई तो कोई अपनी किताबें नहीं ले सका। उसपर सोशल मीडिया की खबरें इन्हें विचलित कर रहीं। इनकी भ्रांतियों को समझें। जानें कि वह जो जान रहे, वह गलत है या सही। सही बातें फैक्ट्स के साथ रखें।
  • जबरदस्ती बैठाएंगे तो उन्हें कुछ थोपे जाने का एहसास होगा। उन्हें भरोसा दिलाएं कि उनसे बात करने को आप हमेशा तैयार हैं।
  • टीवी पर खबरों के स्तर की समझ विकसित करें। विश्वसनीय अखबार से पक्की खबर विस्तार से समझने के लिए प्रेरित करें।


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