अधिकतर बुज़ुर्ग दिन अपने ही तरीक़े से बिताना पसंद करते हैं। उनका हर काम का एक निश्चित समय होता है जैसे- अखबार पढ़ना, खुली हवा में टहलना, लोगों से बातचीत करना या शाम का समय साथियों के साथ बिताना।
खुश रहने से उनका तनाव दूर रहता है और चलने-फिरने से शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं। पर इस वक्त लॉकडाउन है, तो जाहिर है कि वे घर से बाहर नहीं जा सकते। ऐसे में वे मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय भी नहीं होंगे, जिसका असर उनकी सेहत पर पड़ सकता है। खासतौर पर तब जब उन्हें वृद्धावस्था से संबंधित परेशानियां हो। ऐसे में वे खुद के लिए और हम उनकी दिनचर्या में बदलाव ला सकते हैं।
भोजन में स्वस्थ आहार
इस वक्त उनकी सक्रियता कम है, इसलिए उनके खान-पान को हल्का रखें। इससे उनका पाचन ठीक रहेगा। आहार पौष्टिक रहे ये भी सुनिश्चित करें। भोजन में अधिक फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें। ताज़े फल और सब्ज़ियां न मिलें, तो अंकुरित अनाज उनके भोजन में शामिल करें। कम वसा वाला भोजन दें। हड्डियां मज़बूत रहें, इसके लिए ज़रूरी है कि वे रोज़ाना 20 मिनट धूप में बैठें। यदि हृदय रोग, मधुमेह जैसी समस्या है, तो चिकित्सक द्वारा बताए आहार का ही पालन करें। आहार में कोई प्रयोग न करें।
तनाव से दूरी भली
इस स्थिति में तनाव होना स्वभाविक है। ये मधुमेह, अस्थमा, हृदय रोग, पाचन तंत्र की परेशानियों, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं बढ़ा सकता है। ऐसे में उन्हें तनाव देने वाली बातों और माहौल से दूर रखें। ख़ासतौर पर संक्रमण की अफ़वाहों से दूर रखें। ध्यान भटकाने के लिए दिनभर किसी काम में उनको व्यस्त रखें। इसमें बच्चे मददगार हो सकते हैं। घर का वातावरण सकारात्मक और खुशहाल रखने की कोशिश करें।
बैठे नहीं, कसरत करें
बुज़ुर्गों के लिए इस समय बाहर टहलना मुमकिन नहीं है। ऐसे में चिकित्सक की सलाह से उन्हें रोज़ाना आसान हल्का-फुल्का व्यायाम करा सकते हैं। व्यायाम उन्हें अकेलेपन, चिंता और अवसाद से लड़ने में भी मदद कर सकता है। उन्हें लगातार टीवी देखने या बैठे रहने से रोकें। अभी सब घर में हैं, सो उनके काम करने में सब मदद करते होंगे। पर ऐसा पूरे दिन न करें। बुज़ुर्गों के लिए थोड़ी बहुत चलत-फिरत ज़रूरी है। ऐसे में उन्हें घर में ही थोड़ा-बहुत टहलने के लिए कहें। इसके लिए घर का कमरा या हॉल काफ़ी होगा।
दोस्तों से जोड़े रखें
लॉकडाउन से पहले घर के बुज़ुर्ग बाहर टहलते हुए अपने दोस्तों या लोगों से बातचीत करते रहते होंगे। पर अब उन्हें इसकी कमी महसूस हो रही होगी। फोन या वीडियो कॉल के ज़रिए उनके दोस्तों या परिचित से बात करा सकते हैं। साथ ही परिवार के सदस्य भी उनसे बातचीत करते रहें, उन्हें अकेला न छोड़ें। इसके अलावा उन्हें नई-नई तकनीकों से अवगत कराएं। हो सकता है, यह फ़ुरसत उन्हें भी सीखने का अच्छा अवसर प्रतीत हो।
दवाइयों का सही प्रबंधन
- बुज़ुर्ग जिन दवाओं को लेते हैं, उनकी उपलब्धता हरदम रहे यह सुनिश्चित करें। इस वक़्त हम सबकी दिनचर्या बदल गई है, तो हो सकता है कि दवाई देना भूल जाएं। इसमें थोड़ी-सी भी ढील उनके लिए नुक़सानदायक हो सकती है।
- अभी लॉकडाउन की तारीख बढ़ चुकी है, इसलिए घर में अतिरिक्त दवाइयां रखें।
- उन चिकित्सकों के फोन नंबर की सूची बनाकर दवाई के साथ रखें ताकि ज़रूरत पड़ने पर फोन पर ही उनसे परामर्श किया जा सके।
- फोन पर एक ट्रैकिंग सिस्टम भी लगा सकते हैं, जिससे दवा कब खत्म होने वाली है सिस्टम याद दिलाता रहेगा।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3cOnHoM
No comments:
Post a Comment