देशभर में फैले कोरोनावायरस के दौरान सभी कोरोना योद्धा अपने- अपने स्तर पर इससे लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसी ही एक फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर केरल के त्रिशूर की एक युवा नर्स है, जो मुश्किल के समय में भी बहादुरी से अपना कर्तव्य निभा रही हैं। नर्स पीआर शिजी इन दिनों त्रिशूर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 इंसेंटिव केयर यूनिट में एक सेल्फ हेल्प स्टाफ नर्स के रूप में बिना किसी वेतन के अपनी सेवाएं दे रही हैं।
इंटर्न के तौर पर कर रहीं काम
बचपन में ही अपने पिता को खोने वाली शिजी की परवरिश उनकी मां ने की। फिलहाल वह एक इंटर्न के रूप में काम कर रही है, जिसके लिए उन्हें अस्पताल से ना ही कोई वेतन मिलता है और ना ही कोई अन्य भत्ता। एक निजी कॉलेज से बीएससी नर्सिंग पूरी करने वाली 22 वर्षीय शिजी ने बताया कि उन्होंने 4 महीने तक एक निजी अस्पताल में काम किया। इसके बाद पिछले साल ही उन्होंने जून में त्रिशूर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन शिजी को अभी तक सरकारी अस्पताल की तरफ से उनके काम के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है।
काफी कुछ सीखने को मिल रहा
उनके लिए सरकारी अस्पताल के लिए काम करना एक विकल्प था, जिससे शिजी ने अपना कर्तव्य समझकर चुना। ऐसे कई वॉलिंटियर्स है, जो कोविड-19 वार्ड में नहीं जा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके शिजी ने अपना काम जारी रखा हुआ है। दरअसल प्रकोप के तुरंत बाद जब अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देख अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए शिजी ने इस काम को बखूबी तरीके से संभाल लिया है। उनका मानना है कि इस दौरान उन्हें मेडिकल इमरजेंसी के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला है।
12 साल में हुआ पिता का देहांत
वह बताती है कि ज्यादातर मरीज जिनका उन्होंने इलाज किया, वह बेहोश रहते थे। एक बार उनकी स्थिति में सुधार आने के बाद उन्हें आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। शिजी अपने पिता राजन की इकलौती बेटी है, जिनका 12 साल की उम्र में ही निधन हो गया था। पिता के बाद उनकी मां ने दैनिक मजदूरी करते हुए अपनी जरूरतों कर शिजी और अपनी जरूरतों को पूरा किया है।
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