लाइफस्टाइल डेस्क.यह सच है कि जो माता-पिता फुल-टाइम काम करते हैं, उनके पास अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए बहुत कम समय होता है। सुबह ट्रैफिक से जूझ कर ऑफिस पहुंचने से शाम को थक-हार कर घर पहुंचने तक, हर माता-पिता की चाह होती है कि वो अपने बच्चों के साथ समय बिता सकें। लेकिन अकसर जब तक हम घर पहुंचते हैं तो बच्चों के सोने का वक्त हो जाता है। पैरेंटिंग के साथ-साथ काम मैनेज करना बेहद मुश्किल है और सभी पैरेंट इसे मेन्टेन करने की पूरी कोशिश करते हैं। हमारे जीवन में उपलब्ध स्क्रीन की संख्या के साथ परिवार को समय देना और मुश्किल हो जाता है। फोन, टैबलेट, टेलीविजन, कंप्यूटर, लैपटॉप, ई-रीडर और कई स्क्रीन्स हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। एक समय आया जब मुझे एहसास हुआ कि मैं बच्चों के साथ असलियत में मस्ती करने के बजाय उनकी तस्वीर लेने में ज्यादा बिजी थी। मेरे बच्चे नाखुश थे और इसलिए मैं भी खुश नहीं थी। इसलिए मैंने 3 आसान तरीकों से अपने स्क्रीन टाइम को कम करने की कोशिश की ताकि मैं अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकूं। आज मैं आपके साथ भी ये टिप्स शेयर कर रही हूं। यदि आप ठान लो तो आपके लिए भी ये करना बहुत आसान होगा।
सुबह 5 से 7 बजे
ज्यादातर परिवार सुबह उठते ही अखबार पढ़ते हैं, परिवार के साथ वक्त बिताते हैं और ऐसा ही होना भी चाहिए। बच्चों को सुबह हमें उठाना, गले लगना और सुबह-सुबह हमारे साथ वक्त बिताना बहुत अच्छा लगता है। ऐसे में उनके साथ-साथ आपके दिन की भी बेहतर शुरुआत होती है। इस तरह आपके पास अपने फेसबुक फीड पर सर्फिंग करने के बजाय अपने परिवार के साथ बिताए मिनटों से भरी एक शानदार सुबह होगी। सोशल मीडिया से ये जानने के बजाय कि दुनिया में क्या चल रहा है, आप ये जान सकती हैं कि आपके बच्चों की जिंदगी में क्या चल रहा है।
शाम 5.30 से 7 बजे
इस वक्त मैं फोन का बिलकुल इस्तेमाल नहीं करती हूं। इस वक्त मैं अपने बच्चों के साथ खेलती हूं, उन्हें नई चीजों के लिए मोटीवेट करती हूं। इस वक्त मैं अपने बच्चों को ऑब्ज़र्व करती हूं और तब मुझे पता चलता है कि वो कितनी तेजी से बड़े हो रहे हैं। मुझे पता है कि फुल-टाइम काम करने वाली महिलाओं के लिए शाम में टाइम निकालना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन सिर्फ 15 मिनट भी आपके और बच्चे के रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं।
शाम 7.30 से रात 9 बजे
हम सुनिश्चित करते हैं कि पूरा परिवार साथ में खाना खाए। माता-पिता में से कोई एक खाने के वक्त बच्चों के साथ जरूर होता ही है। इस वक्त आमतौर पर हम दिनभर क्या हुआ, दुनिया में क्या चल रहा है, बेटी ने स्कूल में कौन सा जोक सुना, उसकी नई दोस्त कौन है आदि के बारे में बातचीत करते हैं। खाने के बाद और सोने से पहले हम बच्चों को स्टोरी पढ़कर भी सुनाते हैं। ये बहुत साधारण से बदलाव हो सकते हैं लेकिन इनसे ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि आप अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकें।
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