लाइफस्टाइल डेस्क. पानी की तरह दिखता है और पानी की तरह ही काम करता है। लेकिन पानी नहीं है। कुछ टोनर में एसिड, ग्लिसरीन, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी इंफ्लेमेटरी पदार्थ पाए जाते हैं। यह तेजी से एब्जॉर्ब होने वाला लिक्विड है जो स्किन को तुरंत ही हाइड्रेट करता है और डेड सेल्स हटाता है। इसे लगाने के बाद स्किन पर ग्लो दिखाई देता है और स्किन ज्यादा प्लंप भी हो जाती है। स्किन केयर रुटीन में सिरम और मॉस्चराइजर की तरह ही टोनर भी प्राइमर का काम करता है। इसकी मदद से अन्य स्किन केयर प्रोडक्ट्स अच्छी तरह स्किन में समा जाते हैं। ड्राय स्किन ड्राय स्पॉन्ज की तरह होती है। रूखे स्पॉन्ज पर क्रीम लगाएंगे तो वह एब्जॉर्ब नहीं होगी। स्पॉन्ज गीला करके क्रीम लगाएंगे तो तेजी से एब्जॉर्ब हो जाएगी।
कब इस्लेमाल करना चाहिए?
स्किन को क्लेंस करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स दिन में दो बार टोनर इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। क्लेंसिंग के तुरंत बाद ही स्किन टोनर के लिए तैयार हो जाती है। टोनर लगाने के बाद आप सिरम, एसपीएफ और आई क्रीम जैसे प्रोडक्ट्स लगा सकते हैं।
मैच्योर स्किन:एंटीऑक्सीडेंट्स और हाइड्रेटिंग इंग्रीडिएंट्स जिसमें हो, वही टोनर असरदार साबित होगा।
ड्राय स्किन:फर्मेंटेड यीस्ट और अमीनो एसिड्स स्किन को पोषण देने के साथ ही हाइड्रेट भी करते हैं।
डल स्किन:पपाया एक्सट्रैक्ट जैसे नेचुरल टोनर लें। लैक्टिक एसिड स्किन ब्राइटनिंग का काम करता है।
एक्ने प्रोन ऑइली स्किन:सैलिसाइलिक एसिड बेस्ड टोनर्स स्किन को ड्राय किए बिना एक्सेस ऑइल हटाते हैं।
सेंसिटिव स्किन:स्किन कामिंग बोटेनिकल टोनर सेंसिटिव स्किन को राहत देंगे, स्किन हाइड्रेटेड रखेंगे।
पोर्स बड़े हैं तो:एल्फा हाइड्रॉक्सी एसिड युक्त टोनर पोर्स के आसपास के डेड सेल्स हटा देते हैं।
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