लाइफस्टाइल डेस्क. भारत देश हमेशा से ही अपने सस्कृंति और सभ्यता के कारण दुनिया भर में सबसे आगे रहा है। भारत की संस्कृति को केवल भारत में ही नहीं बल्कि एक महिला द्वारा ब्राजील में भी काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। ये महिला कोई और नहीं बल्कि ब्राजील की ग्लौरिया एरीरा हैं जिनका नाम इस साल पद्मश्री अवॉर्ड हासिल करने वाले लोगों की सूची में आया है। ग्लौरिया ने भारत की संस्कृति को साल 1974 में मुंबई में रहकर सीखा था जिसके बाद से उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इस सभ्यता को बढ़ावा देने में समर्पित कर दिया है।
स्वामी चिन्म्यानंद जी से ली थी वैदिक धर्म की शिक्षा
ग्लौरिया हमेशा से ही धर्मों के बारे में जानने की इच्छुक थीं। साल 1973 में जब स्वामी चिन्म्यानंद सेमिनार के लिए ब्राजील पहुंचे तो ग्लौरिया ने भी इस सेमिनार में शामिल होने का फैसला किया। ब्रिटिश में दो सेमिनार लेने के बाद साल 1974 में ग्लौरिया ने भारत आकर यहां वैदिक धर्म और संस्कृति की पूरी जानकारी लेने की ठान ली। अपने ब्लॉग में ग्लौरिया ने बताया कि जब वो पहली बार भारत पहुंची तो वो काफी छोटी थीं। कम उम्र की वेस्टर्न लड़की होने के बावजूद स्वामी चिन्म्यानंद जी ने उन्हें संदीपनी संध्यालय मुंबई में स्वीकार कर शिक्षा दी। शिक्षा के दौरान स्वामी सरस्वती उनके दूसरे गुरू बनें जिन्होंने ग्लौरिया को वैदिक धर्म और वेदांता का ज्ञान दिया।
पुर्तगाली भाषा में किया वैदिक धर्म का प्रचार
साल 1979 में ब्राजील पहुंचकर ग्लौरिया ने भारत से मिले ज्ञान को पुर्तगाली भाषा में लोगों तक पहुंचाना शुरू किया। कुछ सालों बाद 1984 में ग्लौरिया ने रियो डी जेनेरियो, ब्राजील में अपने साथियों की मदद से विद्या मंदिर की नीव रखी थी। विद्या मंदिर में वैदिक धर्म को समझाया जाता है। यहां महाभारत, भगवद गीता और रामायण का पाठ भी किया जाता है।
भगवद गीता का कर चुकी हैं इंग्लिश में ट्रांसलेशन
ग्लौरिया ने ज्यादा लोगों तक हिंदु धर्म का प्रचार करने के लिए भगवद गीता का भी इंग्लिश में ट्रांसलेशन किया है। ग्लौरिया ने भारत में ली शिक्षा के दौरान ही कई आश्रमों में जाकर संस्कृत भाषा का ज्ञान लिया था। भगवद गीता में लिखी गई बातों को साधारण तरीके से समझाने के लिए ग्लौरिया ने अपनी किताब में कुछ संस्कृत शब्दों का भी प्रयोग किया है।
ब्रिटिश की विद्या मंदिर में हर शुक्रवार होती है सरस्वती पूजा
रियो डी जेनेरियो में स्थित विद्या मंदिर में हर शुक्रवार को प्रोफेसर हैनरिक कैस्ट्रो द्वारा सरस्वती पूजा की जाती है। भारत में वैदिक कैलेंडर में दर्शाए गए सभी त्यौहारों को भी ब्रिटिश में बेहतरीन तरीके से मनाया जाता है। मकरसंक्राति, महाशिवरात्रि, रामनवमी, हनुमान जयंती, जन्माष्ठमी और दीपावली जैसे सभी त्यौहार विद्या मंदिर में हर साल वैदिक धर्म के तरीके से मनाए जाते हैं।
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