लाइफस्टाइल डेस्क. केरल के त्रिश्शूर में रहने वाली 60 वर्षीय विनाया पाई के दिन की शुरुआत रात के 2 बजे से ही हो जाती है। उठने का मकसद है बुजुर्गों और मरीजों के लिए पौष्टिक खाना तैयार करना। वह मरीज और बुजुगों की डाइट के मुताबिक खाना बनाती हैं। वह उनकी जरूरत के मुताबिक ही खाने में मसाले और सब्जियों का प्रयोग करती हैं। विनाया इसे तैयार करने में डॉक्टर की सलाह भी लेती हैं।
नाम मात्र के लेती हैं पैसे
विनाया न तो दूसरे उम्रदराज लोगों जैसा जीवन जीती हैं और न ही वह खुद को बुजुर्ग नहीं मानतीं हैं। उम्र की इस पड़ाव वह इतने लोगों का खाना बनाने के लिए किसी की मदद नहीं लेती। वह हर दिन 7 बजे नाश्ता तैयार करती हैं। कुछ लोग उनके घर से खाना लेकर जाते हैं और कुछ लोगों के लिए विनाया होम डिलीवरी की सुविधा भी रखती हैं। इस सुविधा के लिए विनाया नाम मात्र का चार्ज लेती हैं।
बचपन से थी खाना बनाने में रूची
केरला के कोडुंगल्लर में विनाया के परिवार का एक होटल था। बचपन में वह अक्सर होटल की किचन में जाकर शेफ से सीखा करती थीं। उनका हमेशा से सपना था कि एक फूड चेन की शुरूआत करें। उन्होंने 25 साल की उम्र में बैंक की नौकरी के साथ-साथ पापड़ और चिप्स का बिजनेस शुरू किया था। करेले, कटहल, केले और गाजर के चिप्स बनाकर अपने आस-पास के गांव में बेचा करती थीं।
बैंक की नौकरी छोड़ लोगों को चिप्स-पापड़ बनाने की दी ट्रेनिंग
विनाया को सरकारी योजना जन शिक्षण संस्थान का हिस्सा बनने का मौका मिला था, जिसके लिए उन्होंने अपनी बैंक की नौकरी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। इस योजना के मुताबिक, आर्थिक रूप से कमज़ोर और कम पढ़े- लिखे लोगों को ट्रेनिंग दी जाती थी, जिससे आर्थिक स्तर पर मजबूत बन सकें। इस प्रोग्राम में विनाया ने लगभग 10,000 लोगों को पापड़, चिप्स और जैम बनाने की ट्रेनिंग दी थी।
लोगों के लिए खाना बनाने में मिलती है खुशी
विनाया पाई का मानना है कि उनका शरीर और दिमाग सही काम कर रहा है। ऐसे में उन्हें अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर लोगों की सेवा करनी चाहिए। 2 बजे रात को उठकर खाना बनाना उनके लिए इस बड़ी सेवा के लिए एक छोटी सी बात है। विनाया ने मरीज़ों और बुजुर्गों को उनकी जरूरत के अनुसार खाना पहुंचाने के लिए एक डायरी बनाई हुई है। रोज खाना बनाना शुरू करने से पहले वो इस डायरी को पढ़ती हैं।
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