लाइफस्टाइल डेस्क (संजय पाठक, भिंड). एक समय कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम रहे भिंड जिले में अब बेटियों के प्रति सोच बदल रही है। जिन गांवों में बेटियों को घर से निकलने की आजादी नहीं थी, आज वहां की बेटियां पुलिस और प्रशासन में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। यही वजह है कि वर्ष 2011 की जनगणना में भिंड जिले का लिंगानुपात जहां प्रदेश में सबसे कम 1000 बेटों पर 855 बेटियों का था, वह आज बढ़कर 1000 बेटों पर 929 बेटियों तक पहुंच गया है। राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर जानिए ऐसे गांव की कहानी जो कभी भ्रूण हत्या के लिए बदनाम थे।
बंथरी : त्रिवेणी सब इंस्पेक्टर बनीं, उन्हें देखकर आज इस गांव की 10 बेटियां पुलिस में
लिंगानुपात के लिए लंबे समय बदनाम रहे बंथरी गांव की 10 बेटियां पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। पहले गांव के लोगों का मानना था कि बेटियां घर में ही अच्छी लगती हैं। लेकिन, गांव की बेटी त्रिवेणी राजावत ने सब इंस्पेक्टर बनकर इस सोच को बदल दिया। इसके बाद एसआई कीर्ति राजावत, सब इंस्पेक्टर शिवानी जादौन, आरक्षक रुचि राजावत, दीपा राजावत, प्रेमलता राजावत, संध्या राजावत, मनीषा राजावत, हिमानी राजावत, सोनम राजावत ने त्रिवेणी को अपनी प्रेरणा मानते हुए पुलिस ज्वाइन की।
हवलदार सिंह का पुरा : पांच में से तीन बेटियां पुलिस में
हवलदार सिंह का पुरा गांव में सुरेंद्र सिंह तोमर की पांच बेटियां और दो बेटे हैं। बड़ी बेटी रानी श्योपुर में प्रधान आरक्षक, दूसरी नीतू ग्वालियर और तीसरी सीता दतिया में आरक्षक हैं। इनकी दो छोटी बहनें भी पुलिस की तैयारी कर रही हैं। सुरेंद्र बताते हैं कि दस साल पहले परिवार के लोग ही बेटियों के मुंह में तंबाकू रखकर मार देते थे। लेकिन मेरी बेटियों की सफलता को देखते हुए लोग अपनी बेटियों को पढ़ाते हैं।
ग्वालियर-चंबल में लिंगानुपात के आंकड़े
जिला | 2018 | 2019 |
भिंड | 917 | 929 |
दतिया | 908 | 901 |
अशाेकनगर | 931 | 927 |
ग्वालियर | 910 | 877 |
श्योपुर | 947 | 948 |
मुरैना | 900 | 891 |
शिवपुरी | 957 | 915 |
(लिंगानुपात प्रत्येक एक हजार बेटों पर बेटियों की संख्या है।)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/37ncB87
No comments:
Post a Comment