नासिक के अस्पताल में नर्स के रूप में अपनी सेवाएं दे रही वैशाली घुले ने 26 अप्रैल को अपने परिवार को बताया कि वह अब अस्पताल में स्टाफ नर्स की ड्यूटी करने जा रही हैं। इस दौरान उन्हें 2 हफ्ते तक अस्पताल में ही रहना होगा। इस पर उनके 10 वर्षीय बेटे के इस सवाल ने उन्हें दुखी कर दिया कि आपको वहां रहने की क्या जरूरत है? जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने फैसला किया है कि 1 सप्ताह में मरीजों की संख्या 10 से बढ़कर 300 पहुंचने की वजह से अब नर्सों को अस्पताल में ज्यादा समय देना पड़ेगा। उन्होंने अपनी 75 वर्षीय सास, पति मधुर कर और बेटों तनिष्क (10) और यश (15) को बताया कि कोरोना फैलने के कारण स्वास्थ्य कर्मी को अब पूरी लगन से काम करना होगा।
एक साथ 30 मरीजों की देखभाल
उन्होंने घरवालों को यह भरोसा भी दिलाया कि इस दौरान में खुद की पूरी तरह से देखभाल करेंगी। साथ ही समय-समय पर फोन भी करते रहेंगी। वैशाली बताती है कि उनका घर अस्पताल से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है, लेकिन पहली बार उन्हें एहसास हुआ कि यह दूरी काफी लंबी हो गई है। अस्पताल में अन्य सहकर्मियों की तरह ही घुले को भी निजी सुरक्षा उपकरण पीपीई के इस्तेमाल और साफ सफाई के बारे में 1 दिन की ट्रेनिंग दी गई। उन्होंने बताया कि उनकी परीक्षा तब शुरू हुई, जब उन्होंने पहली बार कोविड-19 के लिए बने विशेष वार्ड में कदम रखा। यहां संक्रमित लोग काफी डरे हुए थे और उन्हें पता भी नहीं था कि वह कैसे इस वायरस के चपेट में आए। इस दौरान घुले एक साथ 30 मरीजों की देखभाल कर रही थी।
इलाज के साथ दी हिम्मत
वार्ड में एक मरीज के अचानक अवसाद में चले जाने की वजह से वे काफी परेशान थी। वह कहती है कि मेरे लिए वह सबसे मुश्किल क्षण था, मैंने समझाने की कोशिश की कि उसे जल्दी से जल्दी ठीक होने के लिए उम्मीद बनाए रखनी होगी। उस समय वैशाली को यह महसूस हुआ कि वह परामर्श देने काम भी कर सकती हैं। घुले के लिए सबसे खुशी और संतोष देने वाला पल वह था, जब वो मरीज ठीक होने के बाद हाथ जोड़कर आंखों में आंसू लिए अलविदा कहने आया। कोविड-19 वार्ड में काम करने के बाद अघुले को 10 मई तक 1 हफ्ते के लिए क्वारैंटाइन में रखा गया।
एक पखवाड़े तक बच्चों को नहीं देखा
रुआंसी आवाज में वैशाली ने बताया कि उन्होंने एक पखवाड़े तक अपने बच्चों को नहीं देखा। हालांकि वह वॉट्सएप पर वीडियो कॉल के जरिए उनसे बात करती थी। इस अनुभव को वह जिंदगी भर भूल नहीं पाएंगी, उन्होंने बताया कि 20 साल के अपने करियर में उन्होंने पहली कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया था। वह कहती है कि इस एक पखवाड़े ने उन्हें काफी मजबूत और जिम्मेदार बना दिया है। वह घर जाने के बाद 2 दिन की छुट्टी लेंगी, जिसके बाद ड्यूटी पर दोबारा लौटने पर उन्हें अपने मूल विभाग में काम करना होगा, जहां वह नवजात शिशुओं की देखभाल करती हैं।
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