उड़ीसा के भुवनेश्वर से 70 किलोमीटर दूर चाका गोपालपुर, जाजपुर डिस्टिक भारतीय स्प्रिंटर दुती चंद का गांव है। मौजूदा हालात में देशभर में लॉकडाउन के चलते कई लोग खाने-पीने की कमी से गुजर रहे हैं। ऐसे में देश और गांव के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाती हुईं भारतीय धावक दुती चंद ने अपने गांव में 1000 फूड पैकेट्स बांटे। इसके लिए वह स्पेशल पास लेकर अपने गांव पहुंचीं और जरूरतमंद लोगों को खाने के पैकेट वितरित किए।
स्पेशल पास बनवाकर पहुंची गांव
दुती बताती हैं कि लॉकडाउन की मार देश के साथ ही उनके गांव पर भी पड़ी है। ऐसे में वह किसी ना किसी तरीके से अपने गांव के लोगों की मदद करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने एक स्पेशल पास बनवाया और करीब 1000 लोगों को खाना बांटा। हालांकि अब वह वापस भुवनेश्वर आ चुकींहै, लेकिन गांव से वापस लौटते समय उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि वह अगले हफ्ते दोबारा कुछ और खाने के पैकेट लेकर आएंगी।
इस बार 2000 पैकेट्स का लक्ष्य
लोगों की मदद करने को लेकर वह कहती हैं कि बात पैसों की नहीं, बल्कि सेटिस्फेक्शन की है और मुझे मौका मिला है कि मैं अपने गांव जहां पली-बढ़ी हूं, उनके लिए कुछ कर सकूं। मेरे इस कदम से मेरे माता-पिता भी बहुत खुश है। उन्होंने बताया कि उनकी फैमिली और उन्होंने गांववालों को पहले से ही बताया था कि वह खाना लेकर आने वाली हैं, इसीलिए गांव वाले पहले ही उनके घर पहुंच चुके थे। ओलंपिक क्वालीफाई करने की तैयारी में जुटीं भारत की सबसे तेज महिला धावक दुती चंद कहती है वह फिर गांव जाएंगी। उनके गांव में 5000 लोग रहते हैं और इस बार वह दो हजार खाने के पैकेट लेकर जाएंगी।
केआईआईटी फाउंडर से मांगी मदद
उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने केआईआईटी फाउंडर अच्युत सामंता से मदद मांगी थी। दुती ने अपने तरफ से 50,000 रुपए खर्च किए, जबकि बाकी का खर्च सामंता ने उठाया। ओलंपिक क्वालीफिकेशन राउंड कैंसल होने के सवाल पर दुती ने कहा कि अगर यह राउंड पहले ही हो जाता तो अच्छा रहता, क्योंकि क्वालीफाई करना आसान नहीं है। लेकिन अब जब गांव के बुजुर्गों ने मुझे मेडल जीतने का आशीर्वाद दिया है, तो उनकी मुस्कुराते चेहरे को देख मुझे लगता है कि मैं मेडल जीत सकती हूं।
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