जहां बात आती है रिश्तों की तो स्वभाविक ही दो लोगों का ख्याल मन में आ जाता है। और ये माना जाता है कि रिश्ता निभाना है तो दोनों पक्ष को प्रयास करना आवश्यक है, परंतु वो रिश्ता जिस पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, वो है खुद से खुद का रिश्ता।
1. मैं क्या हूं? और मैं क्या चाहता हूं?: सबसे पहले खुद को जानने और समझने की कोशिश कीजिए। जब आप खुद की खोज में निकलते हो तब आपको पता चलता है कि आज तक जो आप कार्य या व्यवहार कर रहे थे उसमें कितनी असलियत थी और कितना दिखावा। याद रखिएगा आप जितने सच्चे होंगे यकीनन स्वयं के उतने ही करीब भी होते जाएंगे।
2. जैसे हैं वैसा ही स्वीकार करें : स्वयं का आदर करें। जैसे किसी भी रिश्ते की मजबूती का आधार उस रिश्ते की अच्छाइयां और बुराइयां स्वीकारना होता है, ठीक उसी तरह अपने आप से रिश्ते को दृढ़ करने के लिए खुद को अपनी हर आदतों के साथ स्वीकारना जरूरी है। हम मेहनत करके अपनी कुछ आदतें जो नहीं पसंद हैं, वो बदल भी सकते हैं।
3. खुद के साथ समय बिताएं : सबसे पहले खुद ही खुद के साथी बनें, क्योंकि सिर्फ वो साथ ही ताउम्र साथ चलेगा। अपनी रुचि की चीजों को समय दें। मेडिटेशन भी इस दिशा में सहायक हो सकता है, क्योंकि जब हम ध्यान करते हैं तो वो हमारा अपना समय होता है। मेडिटेशन सेे डर एवं अन्य मानसिक समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
4. जीवन में उसूलों को जगह दें : आप अपने जीवन में खुद के साथ मिलकर खुद के लिए कुछ सिद्धांत निर्धारित करें। उदाहरण के लिए यदि आपको सच सुनना पसंद है तो हमेशा सच बोलने का सिद्धांत बना सकते हैं। ईमानदारी, निरंतर कार्य, समय की पाबंदी, जो भी उसूल बेहतर हैं वो आपको निश्चित कर लेना चाहिए।
5. सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग : खुद पर भरोसा रखें, दूसरों की देखादेखी न करें और न ही उनकी सोच की बेवजह फिक्र करें। हां खुद तन, मन, धन से यथासम्भव सबकी मदद करें, इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी, आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। किसी दूसरे की समस्या का उचित निराकरण स्वयं को उसके स्थान पर रखकर देखने से भी कर सकते हैं।
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