आजक कई लोग पेट में गैस की समस्या से परेशानरहते हैं। पेट में दर्द, जलन, पेट फूलना और खट्टी डकारें आना आम समस्याएं बन गई हैं। इस तरह की दिक्कतों को नियंत्रित करने और पेट को स्वस्थ रखने के लिए क्या कर सकते हैं, यहां जानिए।
1. दूध
इसमें अधिक मात्रा में कैल्शियम होता है। कैल्शियम पीएच संतुलन को बनाए रखने और पाचन को सही बनाने में मदद करता है। यही कारण है कि ठंडा दूध एसिडिटी और एसिड रिफ्लक्स के दौरान
होने वाली जलन से तुरंत राहत देता है। याद रखें कि ठंडा दूध गर्म दूध की तुलना में अधिक प्रभावी है। इसमें शक्कर या किसी भी प्रकार का पाउडर न मिलाएं।
2. अनान्नास
इसका रस एसिडिटी और बदहजमी से राहत के लिए फायदेमंद है। अगर आपने मसालेदार भोजन किया है और एसिडिटी के लक्षण दिख रहे हैं तो एक गिलास अनन्नास का जूस पिएं। यह हाइपर एसिडिटी
और बदहज़मी को कम करने के लिए आज़माया और
परखा हुआ उपाय है।
3. सौंफ
इसमें एनेथोल पाया जाता है जो पेट में ऐंठन कम करता है और पेट फूलने से रोकता
है। यह विटामिन, खनिज और फाइबर से भी भरपूर होता है, जो अच्छे पाचन की प्रक्रिया में सहायता करता है। चूंकि इसमें एंटी-अल्सर गुण भी होते हैं इसलि यह पेट को ठंडा करता है और क़ब्ज़ से भी राहत दिलाता है। गर्भवती महिलाओं में अपच और एसिडिटी से निपटने के लिए सौंफ के बीज भी बहुत काम आते हैं।
4. तुलसी के पत्ते
अक्सर एसिडिटी के साथ होने वाली बदहजमी और मतली से राहत देने में मदद करते हैं। पेट के एसिड को कम करने के लिए 2-3 तुलसी के पत्ते चबाएं। तुलसी के पत्तों में एंटी-अल्सर गुण भी होते हैं जो गैस्ट्रिक एसिड के प्रभाव को कम करते हैं और गैस उत्पादन को रोकते हैं। तुलसी के पत्तों का रस और पाउडर भी अक्सर इनडाइजेशन ठीक करने में उपयोग किया जाता है।
5. केला
यह अपने हाई फाइबर गुणों की वजह से आंत और पेट के स्वासथ्य के लिए फायदेमंद होता है जो पाचन प्रक्रिया को दुरुस्त करता है। केले में पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो एक तरह से पेट में एसिड को जमा होने से रोकता है और अत्याधिक एसिड उत्पादन के हानिकारक प्रभावों से भी लड़ता है। केला पेट की जलन दूर करने में मदद करता है।
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