39 साल की जेसिंडा अर्डर्न को न्यूजीलैंड का प्रधानमंत्री बने महज दो साल और आठ महीने ही हुए हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियां न्यूजीलैंड के इतिहास में अब तक रहे राष्ट्रप्रमुखों से कहीं ज्यादा हैं। न्यूजीलैंड में हाल ही में हुए न्यूज़हब रिसर्च पोल के अनुसार जेसिंडा न्यूजीलैंड की सदी की सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री बन गई हैं।
न्यूजीलैंड को कोरोनावायरस से मुक्त कराकर वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में हैं। इससे पहले मार्च 2019 में क्राइस्टचर्च में हुए हमले के बाद जेसिंडा की पीड़ित परिवारों से गले मिलते हुए तस्वीरों ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थीं। हमले के बाद जेसिंडा की प्रतिक्रिया और सकारात्मक रवैये के कारण टाइम मैग्जीन ने उन्हें पर्सन ऑफ द ईयर के लिए भी नॉमिनेट किया था। जेसिंडा न्यूजीलैंड में हुए पोल में दो बार 2008 और 2011 में देश की सबसे आकर्षक महिलाओं में भी चुनी जा चुकी हैं।
जेसिंडा की लोकप्रियता का आलम यह है कि उनके लेबर पार्टी प्रमुख बनने के साथ ही न्यूजीलैंड में "जेसिंडामेनिया'' ट्रेंड करने लगा था। अचानक ही लेबर पार्टी को मिलने वाली फंडिंग भी कई गुना बढ़ गई थी। 9 सालों से सत्ता से दूर लेबर पार्टी जेसिंडा के आने के बाद जीत गई थी। न्यूजीलैंड के लोग लीडरशिप के मामले में उनकी तुलना बराक ओबामा से करते हैं, तो पर्सनैलिटी के मामले में तुलना कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडोसे करते हैं।
तीन बार चुनाव हारा, फिर भी सांसद बनीं
2008 में जेसिंडा ने पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन हारने के बाद भी वह संसद पहुंचीं। न्यूजीलैंड में संसदीय व्यवस्था के अंतर्गत लिस्ट कैंडिडेट (मिक्स्ड मेंबर प्रपोर्शनल, एमएमपी) व्यवस्था के तहत ऐसा मुमकिन है। 2011 और 2014 में भी वह चुनाव हार गईं, लेकिन फिर से लिस्ट कैंडिडेट के रूप में संसद गईं। 2017 में ऑकलैंड के माउंट अल्बर्ट सीट से वह चुनाव जीतीं। लेबर पार्टी के उपनेता के इस्तीफे के बाद वह पार्टी में नंबर दो बनीं। इसके बाद अगस्त 2017 में पार्टी प्रमुख बनीं और अक्टूबर में पीएम। हालांकि इससे पहले सात बार लेबर पार्टी प्रमुख बनने के प्रस्ताव को वह ठुकरा चुकी थीं। वे 17 सालकी उम्र में पार्टी से जुड़ीं थीं।
ट्राउजर पहनने के हक के लिए लड़ीं
जेसिंडा 8 साल की उम्र में शहर के मानवाधिकार संगठन के साथ जुड़ गई थीं। 17 साल की उम्र में उन्होंने लेबर पार्टी जॉइन की। कॉलेज में रहते हुए जेसिंडा ने यूनिफॉर्म में लड़कियों को ट्राउजर्स पहनने की छूट के लिए कॉलेज प्रशासन से लड़ाई लड़ी। जेसिंडा कहती हैं कि यह उनकी पहली राजनीतिक जीत थी। हालांकि वह राजनीति में नहीं आना चाहती थीं। ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री हैलेन क्लार्क (1999-2008) के ऑफिस में शोधार्थी के रूप में काम किया। वह ढाई साल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के ऑफिस में भी रहीं।
फल बेचे, बेकरी मेंभी काम किया
जेसिंडा का जन्म न्यूजीलैंड के हैमिल्टन में हुआ। पिता रॉस पुलिस में काम करते थे, वहीं मां लॉरेल स्कूल केटरिंग का काम करती थीं। परवरिश मॉरमॉन शहर में हुई। पिता की फलों की दुकान थी। स्कूल से आने के बाद वह फल बेचतीं तो कभी पड़ोस में गोल्फ खेलने वाले लोगों को सेबफल बेचने जाती थीं। इसके बाद उन्होंने एक बेकरी की दुकान में भी कुछ समय तक काम किया। एक इंटरव्यू में जेसिंडा ने बताया कि उनका बचपन एक आम कीवी बच्चे की तरह खेतों में बीता। उन्हें ट्रैक्टर चलाने का शौक था, लेकिन एक बार बड़ा एक्सीडेंट करने के बाद घरवालों ने उन्हें ट्रैक्टर देना बंद कर दिया था।
लोग इनकी तुलना बराक ओबामा से करते हैं।
न्यूजीलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री
जेसिंडा न्यूजीलैंड की 40वीं और बतौर महिला तीसरी प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले जेनी शिपले और हैलेन क्लार्क पीएम रही हैं। वह दुनिया की दूसरी सबसे युवा पीएम हैं। 34 साल की फिनलैंड की पीएम सना मरीन दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री हैं।
7 हफ्ते रहा लॉकडाउन, 22 दिन में कोई केस नहीं
न्यूजीलैंड की आबादी 50 लाख है। वहां पिछले 22 दिनों से एक भी केस नहीं मिला है। हालांकि एहतियातन लोगों की टेस्टिंग जारी है। यहां सात हफ्ते के लॉकडाउन के बाद पाबंदियां हट रही हैं।न्यूजीलैंड में कोरोना के 1154 मामले आए थे, 22 लोगों की मौत हुई थी।
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