जब राधा भाटिया ने अपनी किताब लस्सी लिखने के बारे में सोचा तो उनके दिमाग में सबसे पहले आज की पीढ़ी के वे युवा आए तो लस्सी के बजाय स्मूदी पीना पसंद करते हैं। वे लस्सी जैसे इंडियन ड्रिंक्स का टेस्ट लेना ही नहीं चाहते। अपनी किताब के जरिये वे आज के युवाओं को ट्रेडिशनल फूड से परिचित कराना चाहती हैं।
नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स पर आधारित उनकी किताब को '25 वां गोरमेंड वर्ल्ड कुकबुक अवार्ड 2020' का सम्मान मिला। इंडियन कुजीन को बढ़ावा देने वाली यह किताब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान रखती है।
इस किताब में राधा ने 74 इंडियन ट्रेडिशनल रेसिपीज लिखी हैं। इसमें भारत के अलग-अलग राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों को जगह मिली है। राधा के लिए यह सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि एक दादी मां के द्वारा अपने पोता-पोतियों पर दर्शाया गया प्यार भी है। इसमें पांच पीढ़ियों की कहानियां और किचन के सीक्रेट शेयर किए गए हैं।
इस किताब में विभिन्न रेसिपीज को अलग-अलग कहानियों के साथ मिलाकर पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है। लस्सी के माध्यम से राधा ने अलग-अलग मौसम में बनने वाली खास डिशेज की रेसिपी भी बताई है। मौसम से भारतीय खानपान के संबंध को जानने के लिए उनकी किताब उपयुक्त है।
उनकी किताब में पंजाब की सदाबहार मानी जाने वाली मीठी लस्सी से लेकर तमिलनाडु के 'तालिचा मोर' ड्रिंक को बनाने का तरीका बताया गया है। राधा द्वारा लिखी गई हर डिश का टेस्ट लाजवाब है जिसके कई हेल्थ बेनिफिट्स भी हैं। राधा से जब ये पूछा जाता है कि इस किताब को लिखने का विचार उन्हें कैसे आया तो वे संडे की उस दोपहर को याद करती हैं जब अपने पोता-पोतियों के साथ बैठ कर बातें कर रहीं थीं।
तब राधा ने अपने पोते से लस्सी के स्वाद के बारे में पूछा तो उसने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। लेकिन जब मैंने उनसे यह कहा कि लस्सी का स्वाद किसी स्मूदी से कम नहीं होता तो वे फौरन इस बारे में जानने के इच्छुक नजर आए। राधा कहती हैं उसी वक्त मैंने सोचा कि भारत के पारंपरिक स्वाद को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने का इससे अच्छा माध्यम कोई और नहीं हो सकता।
वे कहती हैं ये अवार्ड पूरी दुनिया के लोगों को भारत के खानपान की ओर जागरूक करेगा। हमारा खानपान भारतीय विरासत का अभिन्न हिस्सा है। इसलिए इंडियन कुजीन को सारी दुनिया के अलग-अलग रेस्टोरेंट में बनाया जाता है। हमारा देसी स्वाद विदेशियों को खूब पसंद आता है। हालांकि वे इंडियन डिशेज से जुड़ी कई सारे बातें नहीं जानते।
वे इन व्यंजनों से सेहत को मिलने वाले फायदों के बारे में भी नहीं जानते। मुझे मिला ये अवार्ड उन सभी विदेशियों को भारतीय खानपान और इससे जुड़ी वो सारी बातें बताने में समर्थ होगा, जो उन्हें जानना चाहिए। इंडियन कुजीन को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में उनकी किताब लस्सी का अहम योगदान है। उन्हें उम्मीद है कि इस किताब को पढ़कर आज की पीढ़ी स्मूदी के बजाय लस्सी जैसे देसी ड्रिंक्स की ओर रूख करेगी।
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