Saturday 15 August 2020

15 अगस्त 1947 से हुई थी वीरता पुरस्कार 'परमवीर चक्र' की शुरुआत, सबसे पहले एक स्विस महिला इवा ने डिजाइन किया था इसे

बिना किसी स्वार्थ के किए गए समर्पण का दूसरा नाम ही प्यार है। ये प्यार ही था जो स्विस में जन्मी एक कलाकार को भारत ले आया। जिसने यहां आकर अपने कल्चर के प्रति प्रेम को दर्शाया और कुछ ऐसा किया जो दूसरों के लिए मिसाल बन गया। ये इस महिला का भारत के प्रति प्रेम ही था जो देश के इतिहास में दर्ज हुआ।

इवा की पैदाइश 20 जुलाई 1913 में स्विटजरलैंड के न्यूचैटेल में हुई। इवा के पिता आंद्रे डी मैडे मूल रूप से हंगरी और मां मार्टे हेंट्जेल रूसी महिला थीं।

इवा के पिता जिनेवा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और लीग ऑफ़ नेशन्स में लायब्रेरी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट भी थे( वहीं उनकी मां मार्टे हेंट्जेल इंस्टीट्यूट जीन-जैक्स रूसौ में पढ़ाती थीं। इवा के जन्म के साथ ही उनकी मां का निधन हो गया था। जिसके बाद, इवा का पालन-पोषण उनके पिता ने किया।

इवा ने अपनी पढ़ाई रिवियेरा के एक स्‍कूल से की। अपनी मां के गुजर जाने के बाद इवा अक्‍सर अपने पिता की लाइब्रेरी में चली जाती थीं।

यहां पर उनका ज्‍यादातर समय किताबों के बीच बीतता था। इसी दौरान, इवा ने लायब्रेरी में भारत की संस्कृति से जुड़ी कई किताबें पढ़ीं। यहीं से उनका आकर्षक इंडियन कल्चर की ओर हुआ।

1929 में इवा की मुलाकात विक्रम रामजी खानोलकर से हुई। विक्रम इंडियन आर्मी कैडेट के सदस्य थे। वे ब्रिटेन के सेंडहर्स्ट में रॉयल मिलिट्री अकेडमी में ट्रेनिंग के लिए गए थे। इवा रामजी से शादी करना चाहती थीं लेकिन उनके पिता इस बात के लिए राजी नहीं हुए।

इवा अपने इरादों की पक्की थीं। कुछ सालों बाद इवा भारत आ गईं और 1932 में दोनों ने लखनऊ में शादी कर ली। शादी के बाद इवा सावित्री बाई खानोलकर कहलाईं।

मेजर जनरल विक्रम की पत्नी बनने के बाद इवा का झुकाव संस्कृत भाषा और इंडियन कल्चर के प्रति हुआ। जल्दी ही सावित्री ने संस्कृत, मराठी और हिंदी बोलना सीखा।

उन्होंने शास्त्रीय संगीत, डांस और पेंटिंग सीख ली। वे हमेशा यह कहती थी कि ''वास्तव में मैं भारतीय ही हूं जो गलती से यूरोप में पैदा हो गई।'' अगर कोई उन्हें विदेशी कहता तो उन्हें बुरा लगता था।

सावित्री को भारत के प्राचीन इतिहास की गहरी जानकारी थी। उनकी इसी जानकारी ने भारत के लिए परमवीर चक्र की रचना करने वाले मेजर जनरल हीरा लाल अटल को प्रभावित किया।

उन्होंने इस मेडल को डिजाइन करने का प्रस्ताव सावित्री बाई के सामने रखा। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। कुछ ही दिनों में परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार कर मेजर जनरल अट्‌टल को भेज दिया।

जल्दी ही इस डिजाइन को स्वीकृत कर लिया गया। सावित्री बाई द्वारा डिजाइन किया गया परमवीर चक्र सबसे पहले मेजर सोमनाथ शर्मा काे प्रदान किया गया।

उसके बाद सावित्री ने महावीर चक्र, वीर चक्र और अशोक चक्र की डिजाइन भी तैयार की। विक्रम के इस दुनिया से चले जाने के बाद सावित्री ने अपना जीवन सोशल वर्क को समर्पित कर दिया। 1990 में उनकी मृत्यु के समय तक वे रामकृष्ण मिशन का हिस्सा रहीं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
The Bravery Award 'Paramveer Chakra' was started on 15 August 1947, first designed by a Swiss lady Eva.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31UuBVF

No comments:

Post a Comment

Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900

The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM