भारी बारिश के बीच अगर आपका घर पानी से तबाह हो जाए और रहने का कोई आसरा न बचे तो सबसे पहले आप अपनी फिक्र करेंगे। लेकिन कुछ लोग दुनिया में अभी भी ऐसे हैं जो मुश्किल हालातों में भी अपनी नहीं बल्कि दूसरों की फिक्र करते हैं।
50 साल की कांता मूर्ति कलन पानी से लबालब सड़क पर एक खुले मेनहोल के पास लगातार 7 घंटे खड़े होकर आते-जाते लोगों को सचेत करती रहीं ताकि कोई उसमे गिर ना जाए। वो ऐसा तब तक करती रहीं जब तक की म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारी उस जगह तक नहीं पहुंच गए।
वो नहीं चाहती थीं कि 2017 की भारी बारिश में मेनहोल में गिरे युवक की कहानी फिर सामने आए। 29 अगस्त 2017 को डॉ. दीपक अमरापुरकर की मुंबई के परेल क्षेत्र में मेनहोल में गिरने की वजह से डेथ हो गई थी। दो दिन बाद वरली से उनकी डेड बॉडी मिली थी।
लोगों की मदद करने का कांता का जज्बा रंग लाया। सात घंटे तक भूखे प्यासे एक ही जगह लोगों को बचाने के लिए इस महिला की खूब तारीफ हो रही है। मुंबई के स्थानीय निवासी और पुलिस भी उनके टूटे हुए घर को बसाने में मदद कर रहे हैं।
कांता मुंबई के दादर स्थित मार्केट में फूल बेचकर अपनी आजीविका चलाती हैं। उनके आठ बच्चे हैं जिसमें से फिलहाल दो बच्चे उनके साथ रहते हैं। बाकी बच्चे शादी के बाद यहां से कहीं ओर रहने चले गए। उनके पति 15 साल पहले एक ट्रेन एक्सीडेंट के दौरान पेरालाइज्ड हो गए। वे वाशी नाका में कांता से अलग रहते हैं।
कलन के दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। 3 अगस्त को भारी बारिश की वजह से जब तुलसी पाइप रोड़ पर पानी का स्तर बढ़ने लगा तो इस परिवार की मुश्किलें भी बढ़ीं। इस रोड़ और फुटपाथ पर लगभग 3 फीट पानी भर गया। इस रोड़ पर खड़ी बाइक पानी में बहने लगीं। कांता ने देखा कि बीएमसी वर्कर्स भी यहां मदद के लिए नहीं है। पानी की स्तर बढ़ता देख उसने खुद कुछ करने का फैसला किया।
सुबह छ: बजे वे एक मोटा कपड़ा लेकर सड़क पर निकली और सड़क पर बने मेनहोल को एक अन्य व्यक्ति की मदद से खोला ताकि सड़क पर भरा इसमें जा सके। लेकिन फिर भी पानी का बहाव सड़क पर कम नहीं हुआ। तब कलन वापिस आईं और यही खड़े होकर सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक ट्रैफिक कंट्रोल करती रहीं। उन्हें डर था कि इस मेनहोल की वजह से कहीं कोई अपनी जान न गवा बैठे।
कांता कहती हैं इस घटना के अगले दिन कुछ बीएमसी वर्कर्स आए और उन्होंने पूछा कि मैंने मेनहोल क्यों खोला। तो मैंने कहा उस वक्त मुझे जो ठीक लगा मैने किया। इसके अलावा मेरे पास कोइ और उपाय नहीं था। बाढ़ का पानी तेजी से बह रहा था। तब किसी ने सड़क पर मेरी मदद नहीं की।
##आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा ने एक वीडियो शेयर कर लिखा है, "मुंबई स्पिरिट...बारिश से सारा शहर जलमग्न है...माटुंगा के इस मैनहोल में कोई ना गिरे...इसलिए यह महिला 5 घंटे तक उसके बगल में खड़े होकर लोगों को बचकर जाने को कहती रहीं।" उन्होंने आगे लिखा, "आपदा में हर कोई अपनी जान बचाता है...कुछ ऐसे नेकदिल दूसरों की परवाह करते हैं।
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