वृंदावन में बुआजी के नाम से मशहूर 55 वर्षीय डॉ. लक्ष्मी गौतम लावारिस लोगों की लाशों का अंतिम संस्कार वर्ष 2012 से कर रही हैं। शव को मुखाग्नि भी वे खुद ही देती हैं। किसी से आर्थिक मदद भी नहीं लेतीं। शुरुआत में सिर्फ महिलाओं का अंतिम संस्कार करने वाली लक्ष्मी बीते दो साल से पुरुषों का अंतिम संस्कार भी कर रही हैं।
बीते आठ सालों में करीब 300 शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। लॉकडाउन से अब तक वे7 अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। यहां तक कि पुलिस भी लावारिस शव इन्हें अंतिम संस्कार के लिए दे जाती हैं।
इससे मन को बहुत वेदना हुई
वृंदावन के एसओपी कॉलेज में इतिहास की एसोसिएट प्रोफेसर रहीं डॉ. लक्ष्मी बताती हैं कि वर्ष 2011-12 में सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन में रहने वाली निराश्रित महिलाओं का सर्वे कराना तय किया। उसी सर्वे में सामने आया कि निराश्रित महिलाओं का अंतिम संस्कार ढंग से नहीं किया जाता है। इससे मन को बहुत वेदना हुई।
किसी ने हाथ तक नहीं लगाया
इसी बीच वृंदावन में राधा नाम की निराश्रित महिला का शव चबूतरे पर रखा मिला, जिसकी मौत सुबह हुई, लेकिन शाम तक किसी ने हाथ तक नहीं लगाया। मैंने उसका अंतिम संस्कार किया। उसी दिन से मैंने निराश्रित महिलाओं का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठा लिया।
कनक धारा फाउंडेशन भी बनाया
तब से आज तक वही कर रही हूं। वे बताती है कि मैंने सुबह आठ बजे और रात में 11 बजे भी शवों का अंतिम संस्कार किया है। जब मैं इस कार्य से जुड़ी तो घरवाले मन से साथ नहीं थे। लेकिन अब मेरे दो बेटे और एक बेटी मुझे सपोर्ट करते हैं। आर्थिक सहयोग भी देते हैं। उन्होंने कनक धारा फाउंडेशन भी बनाया है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3e3R3Qr
No comments:
Post a Comment