38 साल की रोशनी नाडर मल्होत्रा एचसीएल टेक की नई बॉस हैं। शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध किसी भी आईटी कंपनी को संभालने वाली वह देश की पहली और इकलौती महिला बन गई हैं। देश की टॉप 50 कंपनी (निफ्टी 50) में चेयरपर्सन का पद संभालने वाली वह दूसरी महिला हैं।
रोशनी विद्याज्ञान स्कूल के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों की शिक्षा पर काम कर रही हैं। वन्यजीव प्रेमी रोशनी ने इनके संरक्षण के लिए 2018 में द हैबिटेट्स ट्रस्ट की स्थापना की है।
रोशनी जब 28 साल की उम्र में पढ़ाई पूरी करके भारत आईं, तो कंपनी में महिला-पुरुषों के बीच यह अंतर उन्हें साफ दिख रहा था। एचसीएल कॉर्प का सीईओ बनने के बाद उनकी प्राथमिकता में महिलाओं को प्रथम पंक्ति में लाना था। उन्होंने नियम बनाया कि हर तिमाही बोर्ड मीटिंग में बोर्ड के सदस्य दो-दो के समूह में बंट जाएं।
ये सदस्य लीडरशिप या सीनियर लेवल की 10-10 महिला कर्मियों के साथ मिलकर लंच करें, ताकि महिलाएं प्रेरित हो सकें। काम के घंटों में लचीलापन और महिलाओं के लिए वर्क फ्रॉम होम का कल्चर शुरू किया। फोर्ब्स ने रोशनी को 2017, 18, 19 में विश्व की 100 सबसे पावरफुल महिलाओं की सूची में शामिल किया।
इकलौती संतान हैं राेशनी :
एचसीएल के संस्थापक शिव नाडर की इकलौती संतान हैं। पति शिखर से उनकी मुलाकात दिल्ली में कॉमन फ्रेंड्स के जरिए हुई। वह होंडा के डिस्ट्रीब्यूटर रहे हैं। परिवार के साथ बाहर घूमने के लिए रोशनी की पसंदीदा जगह अफ्रीका के जंगल हैं।
वह कहती हैं जंगल और प्रकृति के बीच रहकर खुद को जमीन से जुड़ा हुआ महसूस करती हैं बच्चों को भी यही सीख देती हैं।
पिता से मिली सीख :
अपने पिता की तरह हर चीज़ को डायरी में नोट करती हैं, फिर चाहे वह काम से जुड़ी बात हो या निजी जीवन से जुड़ी। हमेशा प्लान ए के साथ प्लान बी भी तैयार रखती हैं। शिव नाडर ने ही उन्हें हमेशा बैकअप प्लान तैयार रखने की सीख दी है।
बकौल रोशनी, पिता का कहना है कि जिंदगी में बैकअप होना चाहिए। नया प्लान भी सिर्फ दिखाने के लिए नहीं बल्कि व्यावहारिक होना चाहिए।
उनका कॅरिअर :
लंदन में प्रोड्यूसर रहीं रोशनी ने अमेरिका में रेडियो-टीवी-फिल्म में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद लंदन स्थित स्काई न्यूज़ में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर दो साल काम किया। वह सीएनएन अमेरिका में भी न्यूज़ प्रोड्यूसर रहीं। इस बीच शिव नाडर ने उन्हें सलाह दी कि मीडिया मुगल रुपर्ट मर्डोक बनना चाहती हैं, तो प्रबंधन की पढ़ाई कर लेनी चाहिए।
पिता की सलाह पर उन्होंने एमबीए किया। 2008 में भारत आकर कंपनी को समझने के लिए कुछ सालों तक हर विभाग में रोटेशनल प्रोग्राम के तहत काम किया।
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