पिछले कुछ सालों में युवाओं के बीच खादी की डिमांड लगातार बढ़ी है। यही वह फैब्रिक है जिसने सिल्क,पोलिएस्टर जैसे फैब्रिक के बीच अपनी खास जगह बनाई है। खादी को युवाओं के बीच विशेष दर्जा दिलाने में भोपाल की उमंग श्रीधर का विशेष योगदान है।
मिला ऐसा सम्मान
उमंग खादीजी ब्रांड की संस्थापक हैं। पिछले साल उनका नामप्रतिष्ठित बिजनेस पत्रिका फोर्ब्स की अंडर-30 अचीवर्स की सूची में शामिल था। उन्हें देश के टॉप-50 सोशल आंत्रप्रेन्योर की सूची में भी शामिल कर सम्मानित किया गया है। मुंबईकी लग्जरी ब्रांड मैनेजर तान्या चुघ भी उनके साथ इस काम में जुड़ी हुई हैं।
खादी को डिजिटल फाॅर्म में पेश
उमंग ने अपने ब्रांड का नाम खादीजी क्यों रखा। जब उनसे यह पूछा तो वह कहती हैं मैंने अपने ब्रांड के लिए दो शब्दों को साथ मिलाया है। वे चरखे के माध्यम से खादी को डिजिटल फाॅर्म में पेश करती हैं। उनके क्लाइंट्स में रिलायंस इंडस्ट्रीज और आदित्य बिड़ला ग्रुप भी शामिल हैं। उनकी संस्था डिजाइनर्स, रिटेलर्स, होलसेलर्स और विभिन्न इंडस्ट्रीज को खादी सप्लाय करती है।
मां से मिली प्रेरणा
उमंग का बचपन दमोह जिले के एक छोटे से गांव किशनगंज में बीता। यहां उनकी मां वंदना श्रीधर पूर्व जनपद अध्यक्ष थीं। जब वंदना गांव वालों की समस्या का समाधान करने जाती तो उमंग भी उनके साथ रहती। मां के प्रयास से उसे दूसरों को खुश होते देखकर बहुत अच्छा लगता। उमंग कहती हैं मैंने बचपन से मां को देखकर यही सोचा था कि मैं भी बड़े होकर कोई ऐसा काम करूंगी जिससे दूसरों की मदद की जा सके। आज उमंग खादी और हैंडलूम फैब्रिक बनवाकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बुनकरों को रोजगार मुहैया करा रही हैं।
बनाती हैं ईको फ्रेंडली फैब्रिक
अपने ब्रांड के लिए फैब्रिक तैयार करने में वे ऑर्गेनिक कॉटन के साथ ही बांस और सोयाबीन से निकले वेस्ट मटेरियल का भी इस्तेमाल करती हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए इस तरह के इको फ्रेंडली फैब्रिक को अब वे देश के जाने-माने फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी और अनिता डोंगरे के कलेक्शन का हिस्सा बनते देखना चाहती हैं। साथ ही लंदन और यूरोप में भी इसब्रांड को स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं।
रोजगार उपलब्ध करा रही हैं
जब से लॉकडाउन की शुरुआत हुई है, तब से उमंग खादी के मास्क बनाने में व्यस्त हैं। वे कहती हैं लॉकडाउन के पहले हफ्ते से ही हमने मास्क बनानेकी शुरुआत कर दी थी। इसके माध्यम से भोपाल और आसपास के गांव की लगभग 50 महिलाओं को रोजगार मिला है। उनकी संस्था अब तक करीब 2 लाख मास्क का वितरण कर चुकी है। इसके अलावा वे किशनगंज में सौलर चरखे पर खादी बनाने की शुरुआत कर 200 महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
बढ़ गईमहिलाओंकी जिम्मेदारी
लॉकडाउन के इस दौर में उमंग महिलाओं से कहना चाहती हैं कि कोरोना काल ने महिलाओं की जिम्मेदारी को और बढ़ाया है। इस दौरान घर और ऑफिस दोनों के काम महिलाओं के जिम्मे हैं। यहां जरूरी हो जाता है कि सारा बोझ आप खुद लेने के बजाय परिवार के हर सदस्य के साथ काम की शेयरिंग करें ताकि ये मुश्किल दौर आसानी से निकल जाए।
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