देश भर में फैल रहे कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते दुनिया ही नहीं देश भर के लोग प्रभावित हो रहे हैं। कोरोनावायरस के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए 14 अप्रैल तक देश भर में 21 दिन का लॉक डाउन जारी है। ऐसे में कई लोगों पर इस लॉक डाउन का काफी प्रभाव पड़ रहा है। खासकर की बुजुर्ग जिन्हें संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है, वह घर में ही रह रहे हैं। ऐसे में उन तक चीजें ना पहुंचने के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दोस्तो ने विदेश से मांगी मदद
बुजुर्गों को हो रही इस परेशानी का एहसास महिता नागराज को तब हुआ जब यूके में रह रही उनकी दोस्त ने उन्हें फोन किया। उनकी दोस्त ने बेंगलुरु में रह रहे अपने माता-पिता तक ग्रॉसरी पहुंचाने के लिए महिता की मदद मांगी। इस पर महिता ने दोस्त को तसल्ली दी और खुद जाकर उनके माता-पिता तक जरूरी सामान पहुंचाया। लेकिन यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, 2 दिन बाद अमेरिका में रहने वाली महिता की एक और दोस्त का कॉल आया। इस बार भी उनकी दोस्त ने बेंगलुरु में रह रहे अपने माता-पिता तक दवाइयां और सामान पहुंचाने के लिए उनकी मदद मांगी।
घर-घर जाकर मदद करने का किया फैसला
इस पर महिता को ख्याल आया कि कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा होने के कारण डॉक्टरों ने बुजुर्गों को घर में रहने की सलाह दी है। ऐसे में उनके बहुत से दोस्त और रिश्तेदार जो विदेश में रह रहे हैं, अपने माता- पिता को लेकर काफी चिंता में है। इस बारे में विचार करते हुए उन्होंने बुजुर्गों की मदद के लिए उनके दरवाजे तक जरूरी सामान, दवाइयां और राशन पहुंचाने का मन बना लिया।
देशभर में पहलने लियाअभियान का रूप
इसी सोच के साथ पेशे से डिजिटल मार्केटर और एक बच्चे की मां 38 वर्षीय महिता ने इस आइडिया को फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उनके दोस्त, किसी भी अन्य बुजुर्ग या जरूरतमंद व्यक्ति को किसी भी तरह की मदद की जरूरत हो तो उनसे बेहिचक संपर्क करें। इस पोस्ट के बाद महिता को मदद के लिए ना सिर्फ विदेश में रह रहे दोस्तों के फोन आए, बल्कि बहुत से ऐसे लोगों ने भी उनसे संपर्क किया जो उनकी इस पहल का हिस्सा बनकर जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद करना चाहते थे। जिसके बाद इस पहल ने देखते - देखते पूरे देश में एक केयरमोंगर (caremonger) अभियान का रूप ले लिया।
फेसबुक पर बनायापब्लिक ग्रुप
महिता कहती है कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उन्हें लोगों की इतनी ज्यादा प्रतिक्रिया मिलेगी। इस पहल के बाद उन्हें पूरे बेंगलुरु से फोन आए। खास बात यह थी कि फोन करने वाले यह सभी लोग बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाओं और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहते थे। इसी क्रम में महिता ने 17 मार्च को फेसबुक पर केयरमोंगर इंडिया नामक एक पब्लिक ग्रुप शुरू किया, जिसमें अभी तक 2000 से भी ज्यादा वॉलिंटियर जुड़ चुके हैं। इस ग्रुप के बनने के 1 दिन के अंदर ही बेंगलुरु ही नहीं बल्कि चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली, उत्तराखंड, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उड़ीसा के लोग भी इसमें शामिल हो चुके हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2yqM256
No comments:
Post a Comment