लाइफस्टाइल डेस्क. कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए हमने हाथों को अच्छी तरह से धोना तो सीख लिया पर अपने दैनिक जीवन में हम स्वच्छता का कितना ध्यान रखते हैं इसकी जांच भी कर ही लेते हैं। घर पर भी, दफ़्तर में और बाहरी जीवन में भी, देखिए कि हम कीटाणुओ से कितने दूर या कितने पास हैं-
घर का टीकाकरण
हमें घर जितना साफ लगता है असल में ये उतना साफ होता नहीं है। घर के ऐसे कई हिस्से और चीज़ें हैं जिन्हें हर कोई बार-बार छूता है। ऐसे में इन पर कीटाणुओं का होना आम बात है। इन्हें हम हर तरह के हाथों से छूते हैं और वही हाथ अपने चेहरे पर लगाते हैं या उन्हीं हाथों से खा लेते हैं। इनमें मौजूद कीटाणु हमें बीमार बना सकते हैं।
यहां छुपते हैं कीटाणु
घर के स्विच बोर्ड, दरवाजों के हैंडल, वॉशबेसिन,पोछे के कपड़े, चादरें, तकिए के खोल, तौलिए, कंघी, घर के कोने, टीवी या एसी के रिमोट कंट्रोल, पानी की बोतल, फ्रिज और उसका हैंडल, सोफे, फर्श से कुछ ऊपर की दीवारें, सीढ़ियों या बालकनी की रेलिंग, टेलीफोन आदि में कीटाणु छुपे रहते हैं।
संक्रमण और बीमारियां
घर और शरीर की ठीक से सफाई न की जाए तो संक्रमण और बीमरियां जकड़ सकती हैं। हल्के से लेकर तेज बुखार, खांसी, ज़ुकाम, सिरदर्द, गले में खराश, टाइफॉइड जैसी दिक्कत हो सकती हैं।
ऐसे सफाई रखें
- बिस्तर की चादरें, सोफे के कवर और तकिया के खोल हर हफ्ते धो दें। इन्हें गर्म पानी में साफ करें। तकियों को हर दो साल में बदल दें।
- घर के हर सदस्य के लिए अलग-अलग तौलिया रखें। रोजाना इस्तेमाल करने के बाद इन्हें धोकर धूप और हवा में सुखाएं। इसके लिए हर सदस्य दो-दो तौलिया रख सकता है।
- वॉशबेसिन को रोजाना साफ करने की कोशिश करें। अगर हाथ पोछने के लिए टिशू रख रहे हैं तो इसे बंद होल्डर में रखें।
- बाहर से आकर जूते और चप्पल घर के अंदर न लेकर आएं। अगर घर पर चप्पल पहनते हैं तो इसे घर के लिए ही रखें। हर दो-तीन दिन में इसको साफ करें।
- रोजाना कीटाणुनाशक पदार्थ से घर साफ करें। दरवाजों की कुंडी, स्विच, प्लग आदि भी इससे रोजाना साफ करें।
सलाह
- घर की सफाई के दौरान मुंह और नाक को ढककर रखें और आंखों पर चश्मा लगाएं ।
- हाथों में दस्ताने पहनें। सफाई के बाद गुनगुने पानी से नहाएं ।
- बंद डस्टबबन का इस्तेमाल करें। कूडते को रोजाना फेंकते और डस्टबिन को साफ रखें।
- पोछे का कपड़ा इस्तेमाल करने के बाद गर्म पानी से धोएं । ऐसे पोछे का इस्तेमाल करने की कोशिश करें इनमें हाथ न लगाना पड़े जैसे कि मॉप।
- कंघा, रिमोट,दरवाजों का हैंडल आदि छूने के बाद हाथों को साबुन से साफ करें।
कीटाणुमुक्त रसोई
रसोई की साफ-सफाई न रखने पर यहां भी कीटाणु अपना ढेरा जमाने लगते हैं, जो कई तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं। इसलिए रसोई की सफाई बेहद अहम हैं। इसके लिए एक दिन नहीं बल्कि रोज की आदत बनानी होगी।
यहां छुपते हैं कीटाणु
रसोई की वह सतह जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आती है, जैसे प्लेटफॉर्म, सिंक टॉप, स्टोव, किचन के तौलिए, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि ऐसी जगहें कीटाणुओं का घर बन सकती हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि टॉयलेट या कचरे के डिब्बे की तुलना में किचन सिंक में अधिक बैक्टीरिया होते हैं।
संक्रमण और बीमारियां
रसोई की सफाई में अनदेखी या लापरवाही कॉकरोच,चींटियों और चूहों को आकर्षित करती है जो बीमारियों को न्योता है। संक्रमित भोजन से फूड पॉइजनिंग, पेट में संक्रमण और भी कई बीमारियां हो सकती हैं।
ऐसे रखें सफाई
- भोजन बनाने और खाने से पहले अपने हाथ धोएं। भोजन की तैयारी से पहले भी हाथों को सही तरह से धोना जरूरी है। डस्टबिन का उपयोग करने के बाद हाथों को धोएं।
- खाना पकाने वाले स्थान को साफ रखें। सब्जी और अन्य खाद्य पदार्थों को काटने के बाद स्थान को साफ़ करें व चॉपिंग बोर्ड को धोकर रखें। बचे हुए भोजन के कण और गीलापन मक्खियों और कीड़ों को आकर्षित करते हैं।
- सिंक और काउंटर / स्लैब जैसे क्षेत्रों में हर दिन कुछ हल्के एंटी-बैक्टीरियल वाइप्स या साफ कपड़े में कीटाणुनाशक द्रव डालकर साफ करें। फ्रिज, अवन या माइक्रोवेव जैसे उपकरणों को सप्ताह में कम से कम एक बार क्लीनर से साफ करें।
- बर्तन पोछने वाले कपड़े को काटीणुनाशक द्रव अच्छी तरह से साफ करें। हालांकि, समय-समय पर डिश क्लॉथ और स्पंज को बदलते रहना चाहिए। दिन में एक बार फ़र्श की अच्छी तरह से सफाई बैक्टीरिया के विकास को कम कर सकती है।
सलाह
- फ्रिज में खाने की वस्तु रखने से पहले ये सुनिश्चित करें कि भोजन का तापमान कमरे के तापमान के बराबर या उससे कम हो। गर्म भोजन को फ्रिज में रखने से भोजन समान रूप से ठंड़ा नहीं होता है और फूड पॉइिनिंग का कारण बन सकता है।
- भोजन को फ्रिज में रखते समय ढकें , खुलते में बचा हुआ भोजन बैक्टीररया की चपेट में आता है।
- सब्जी और मांसाहारी वस्तुओं के लिए अलग- अलग चॉपिंग बोर्ड का उपयोग करें। इस्तेमाल के बाद इन्हे धोएं।
स्वच्छ हो बाथरूम
बाथरूम घर का वो हिस्सा है जिसका साफ रहना बहुत जरूरी है। बाथरूम में मौजूद नल, वॉशबेसिन, फ्लश बटन, साबुन या हैंड वॉश की बोतल आदि पर घर के सभी सदस्य हाथ लगाते हैं। इसमें मौजूद कीटाणु एक हाथ से दूसरे हाथ में फैलते हैं। हाथों के ही जरिए हम इन्हें बाथरूम से रसोई तक ले जाते हैं। इसलिए इसकी सफाई पर भी गौर फरमाएं।
यहां हैं कीटाणु
जिस बाथटब में आप नहाते हैं, उसी बाथटब में हजारों कीटाणु मौजूद होते हैं। वॉशबेसिन, नल, फर्श, टॉयलेट सीट, हैंडवॉश की बोतल, साबुन, टूथब्रश, दरवाजे पर टंगे कपड़े व अन्य रखा सामान आदि भी कीटाणुयुक्त होते हैं।
बीमारियां
गंदे शौचालय से सबसे ज्यादा संक्रमण होने की आशंका होती है। खासतौर पर महिलाएं इस संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं जिसके कारण गर्भावस्था, मासिक धर्म या नियमित रूप से रोजमर्रा की जिंदगी में जटिलताएं हो सकती हैं। साथ ही आंत का संक्रमण, फेफड़े और त्वचा में संक्रमण, विषाणु संक्रमण और यौन रोग जैसी भयानक बीमारी होने का भी ख़तरा बना रहता है। अगर आप गंदी टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करेंगे, तो आपको दाद, क्लैमाइडिया या एसटीडी, यूटीआई जैसी बीमारियां होने का खतरा बन सकता है।
ऐसे करें सफाई
- हर सदस्य नहाने के बाद बाथरूम साफ करके निकले तो भी इसे साफ रखा जा सकता है।
- टॉयलेट सीट के पास रखे टूथब्रश में काफी कीटाणु छुपे होते हैं। नमी के कारण इनमें कीटाणु पनपते हैं जो एक बार में पानी से भी साफ नहीं होते। इसलिए वही ब्रश इस्तेमाल करें शिसमें ढक्कन लगा हो। ब्रश गीला न हो इसका भी ध्यान रखें। या फिर इसे बाथरूम में रखने से बचें।
- बाथरूम के लिए एक अलग सेचप्पल रखें।
- वॉशबेसिन पर रखा हैंडवॉश और साबुन भी रोज साफ करते रहें।
- वॉशबेसिन और नल रोजाना डिटर्जेंट से साफ करें। गीले साबुन में कीटाणु जल्दी पनपते हैं, इसलिए खुली साबुनदानी रखें।
- टॉयलेट का ढक्कन लनाने के बाद ही फ्लश करें। एक शोध के अनुसार टॉयलेट का ढक्कन खोलकर फ्लश करने से इसमें मौजूद जिवाणु और कीटाणु हवा में रह जाते हैं जो कि छह फीट तक फैलने में सक्षम होते हैं। आसपास की सतहों पर भी ये फैल सकते हैं।
- फर्श और टॉयलेट सीट, फ्लश बटन, नल शिन्हें रोज छूते हैं, इन्हें गर्म पानी और डिटर्जेंट से साफ करें। बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखें।
साफ-सुथरी हो डेस्क
दफ़्तर में जिस डेस्क पर हम काम करते हैं, उसमें कई कीटाणु मौजूद होते हैं। इसके अलावा भी कई चीजें हैं जिनमें दफ़्तर के सभी कर्मचारियों के हाथ लगते हैं। ऐसे में इन पर कीटाणु रहना आम बात है।
यहां हैं कीटाणु
दफ़्तर की मेज (डेस्क) की सफाई के लिए इस्तेमाल किए गए कपड़े से पूरा दफ्तर साफ किया जाता है जिसके कारण इसमें अनगिनत कीटाणु हो जाते हैं। इसी गंदे कपड़े के कारण डेस्क पर कीटाणुओं की तादाद बढ़ जाती है। सबसे अधिक गंदगी कम्प्यूटर के की-बोर्ड में जमा होती है। जिन हाथों से की- बोर्ड इस्तेमाल करते हैं, उन्हीं हाथों से अपना चेहरा समेत पानी की बोतल, पेन, कम्प्यूटर, माउस, कुर्सी आदि भी छूते हैं।
यहां भी छुपे हैं
दरवाजों के हैंडल और स्विच बोर्ड को सभी कर्मचारी हाथ लगाते हैं, जिससे अनगिनत कीटाणु इस पर चिपक जाते हैं। एक हाथ से दूसरे हाथ पर कीटाणु पहुंच जाते हैं और उन्हीं हाथों से हम की-बोर्ड, माउस, कप, पैन आदि छू लेते हैं।
संक्रमण का कारण है
इससे सर्दी, ज़ुकाम, हल्के से लेकर तेज़ बुखार, खांसी, सिरदर्द, गले में खराश, टाइफॉइड, पेट दर्द, फूड पॉइज़निंग आदि बीमारियां जन्म लेती हैं।
ये सावधानियां बरतें
- अपनी डेस्क खुद साफ करें। इसके लिए साफ कपड़े में थोड़ा-सा विनेगर और पानी लेकर इस्तेमाल करें।
- डेस्क साफ करने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- कम्प्यूटर का माउस, की-बोर्ड और बटनों को सैनिटाइजर से साफ करें। पानी की बोतल रोज साफ करें।
- डेस्क पर खाना न खाएं। भोजन के तिनके डेस्क या की-बोर्ड पर छूट जाते हैं जिससे कीटाणु पनपते हैं।
- पेन जैसी चीज़ों को मुंह में न लें।
सलाह
- दरवाजे का हैंडल, कॉफी मशीन, फिल्टर, स्विच बोर्ड छूने के बाद हाथ धोएं ।
- अधिक सावधानी के लिए टिशू से दरवाजे का हैंडिल पकड सकते हैं।
- चाय आदि का झूठा कप अपनी डेस्क पर न रखें।
- कूडेदान का उपयोग सिर्फ कचा डालने के लिए करें, थूंकने या हाथ धोने के लिए नहीं।
- सफाई कर्मचारी के लिए दरवाजा खोल सकते हैं त़ाकि उनके हाथों की गंदगी हैंडिल पर न आए। इस बारे में उनको सचेत कर सकते हैं।
दफ़्तर में भी रह ख्याल
दफ़्तर में कार्य करने वाले दिन का अधिकतर समय वहां बिताते हैं। ऐसे में दफ़्तर के बाथरूम का इस्तेमाल करना सामान्य है। इस दौरान साफ-सफाई का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। जरा-सी लापरवाही कई तरह के संक्रमण पैदा कर देती है। इसलिए सफाई का ख्याल रखना बेहद जरूरी है और इसे आदत में शामिल करना उससे भी जरूरी है।
संक्रमण के कारण
टॉयलेट को फ्लश किए बिना ही इस्तेमाल करना, हाथ धोए बिना फ्लश बटन दबाना, फ्लश करके अच्छी तरह से हाथ न धोना, वॉशरूम के तौलिए से हाथ पोंछना। इसके अलावा दरवाजे हैंडल को दिन में कई बार लोगों द्वारा छुआ जाता है। इन सभी चीजों का इस्तेमाल करने वाले लोग बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं और संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएं
टॉयलेट सीट पर सबसे ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं, जिनके संपर्क में आने पर सिरदर्द, त्वचा की बीमारियां, श्वसन समस्याओं से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं। महिलाओं में यूटीआई यानी पेशाब में संक्रमण हो जाता है। महिलाओं में यह समस्या 20 से 40 की उम्र के बीच अधिक देखने को मिलती है। इससे उनकी किडनी पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
सावधानियां और बचाव
- टॉयलेट सीट को रोज साफ किया जाना चाहिए।
- टॉयलेट के हैंडल, फ्लश बटन, दरवाजे के हैंडल, नल व लाइट की बटनों को कीटाणुनाशक वाइप से साफ करना चाहिए।
- बाथरूम में हाथ साफ करने वाला तौलिया सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आता है। यही वजह है कि यह तौलिया सबसे अधिक गंदा होता है। इसलिए पेपर नैपकिन का इस्तेमाल करें।
- इलेक्ट्रिक हैंड ड्रायर से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। इसलिए नैपकिन से हाथ पोछें।
- हाथों को अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करें।
सलाह
- बाथरूम इस्तेमाल करने से पहले और बाद में फ्लश करना न भूलें।
- बाथरूम के इस्तेम़ाल के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं ।
- बाथरूम से बाहर निकलने के बाद हाथों से नाक,आंख को छूने से बचें।
- संक्रमण से बचने के लिए कार्य करने के दौरान बीच-बीच में सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- महिलाओं को बथरूम जाने से पहले फ्लश करके टॉयलेट सीट पर पानी डालकर सूखे नैपकिन से साफ करना चाहिए।
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