लाइफस्टाइल डेस्क. 13 मार्च को दिल्ली की 50 वर्षीया टूरिस्ट गाइड इटली की एक महिला को दिल्ली के म्यूजियम ले गई थी। अगले ही दिन गाइड को बुखार आया। जांच में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद महिला ने खुद को घर में आइसोलेट कर लिया और डॉक्टरों के निर्देश पर इलाज करवा रही हैं। उनका कहना है कि यह कोई बड़ी बीमारी नहीं है। सिर्फ थोड़ी सी सावधानी रखनी है। गांधीजी और नेल्सन मंडेला सालों जेल में रह सकते हैं तो मैं दो-तीन हफ्ते एकांतवास में क्यों नहीं रह सकती? बताया कि वे एक हफ्ते से संक्रमण मुक्त होने के लिए बंद कमरे में कैसे दिन गुजार रही हैं....
एकांतवास में प्राणायाम और कसरत ने तरोताजा कर दिया
मेरा नाम मृगनयनी (बदला नाम) है। जांच में कोरोना की पुष्टि के बाद मैंने 24 मार्च से खुद को घर के एक कमरे में एकांतवास में रखा है। मेरा 20 साल का बेटा दूसरे कमरे में रह रहा है और वही मेरा शेष दुनिया से संपर्क का माध्यम है। डॉक्टर ने कहा कि मैं घर में एकांतवास कर सकती हूं और बुखार के लिए पैरासिटामोल ले सकती हूं। सांस में तकलीफ हो, तो अस्पताल में भर्ती होने की बात कही। 27 मार्च तक तीन दिन बुखार आया।
इस बीच, दो दिन नाक के बाईं ओर से सांस में ऐसा तीखापन था, जैसे जलती फुलझड़ी अंदर चली गई हो। पिछले तीन दिन से बुखार खत्म हो गया है। मैं गले की खराश के लिए तुलसी, अदरक, काली मिर्च, लौंग के काढ़े का इस्तेमाल कर रही हूं। प्राणायाम ने मुझे ताकत दी। कई अधूरे काम पूरे किए। अधूरा उपन्यास पढ़ा। तीन ब्लॉग भी लिखे। कमरे में ही कसरत कर रही हूं। मेरी आप सभी से अपील है कि कोरोना के बीमार को घृणा की नजर से मत देखना। यह बीमारी नहीं बल्कि सावधानी का दूसरा रूप है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2URE0Kf
No comments:
Post a Comment