वीमेन डेस्क.एक सात साल की लड़की सामान्य जीवन जी रही है। वो रोज स्कूल जाती है दोस्तों के साथ खेलती है। वह बहुत खुश भी है लेकिन तभी एक घटना होती है। आंखों का ऑपरेशन होता है लेकिन डॉक्टर्स की लापरवाही से रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। छह माह बाद आंखों की रोशनी वापस आने की उम्मीद जगाई जाती है लेकिन ऐसा होता नहीं है। जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। वह लड़की हिम्मत जुटाती है और कुछ करने का ठानती है।
लोग कहते हैं यूपीएससी की तैयार करो उसमें दृष्टिबाधित बच्चों को आरक्षण मिलता है लेकिन वह बिना आरक्षण के सफलता का रास्ता तय करती है। ओडिसा लोक सेवा आयोग की परीक्षा में टॉप करते एक सफलता का वो पैमाना सेट करती है जिसे कोई आसानी से नहीं पार कर सकता है। यह कहानी तपस्वनी दास की जो कभी रुकी नहीं, कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और आज वो कर दिखाया जो बहुत कम लोग हासिल कर पाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 'बंदिशों की बेड़ियां, बराबरी की कहानियां' थीम की एक और अहम किरदार हैं ओडिसा की तपस्वनी दास। वह कहती हैं सफलता और संघर्ष एक-दूसरे जुड़े हैं बिना संघर्ष सफलता नहीं मिलती। दैनिक भास्कर से हुई बातचीत में उन्होंने बताई अपनी कहानी। पढ़िए उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी...
ओडिसा में दृष्टिबाधित के लिए अंग्रेजी मीडियम स्कूल नहीं
तपस्वनी कहती हैं कि जब आंखों की रोशनी गई तो मन में सवाल थे कि ये वापस आएगी या नहीं। लेकिन एक बात तय थी कि इतनी जल्दी कुछ बदलने वाला है नहीं। तभी मैंने तय किया कि एक मजबूर नहीं मजबूत इंसान की तरह लाइफ को जिऊंगी। खुद में बदलाव लाना शुरू किया लेकिन ये आसान नहीं था। पहले पढाई एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल में हुई थी लेकिन हादसा होने के बाद बहुत कुछ बदला। ओडिसा में दृष्टिबाधित लोगों के लिए अंग्रेजी स्कूल न होने के कारण मुझे उड़िया मीडियम में पढाई करनी पड़ी।
यूनिवर्सिटी टॉपर होना सबसे खूबसूरत पल
ये सब काफी मुश्किल था लेकिन मेरा मानना है कि सफलता के लिए संघर्ष जरूरी है। आप कैसे जीवन में आने वाली बाधाओं का सामना करते हैं और उससे उबरते हैं, यही आपको सफलता की ओर ले जाता है। 10वीं करने के बाद 11वीं से एक बार फिर पढ़ाई सामान्य बच्चों के साथ करनी शुरू की जो थोड़ा मुश्किल रहा। पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया और अब उत्कल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हूं।
जब मेरा ग्रेजुएशन का रिजल्ट आया उस दिन तारीख थी 11 जून 2018। मैं यूनिवर्सिटी में टॉपर थी, जो मेरे जीवन का एक खूबसूृरत पल था।
9वीं कक्षा में तय किया था लक्ष्य
जब मैं 9वीं कक्षा में थीं जब ओडिसा सिविल परीक्षा में बैठने का लक्ष्य तय किया। जो देख सकते हैं वो किताबे पढ़ सकते हैं लेकिन मेरे लिए यह मुश्किल था। मैंने किताबों की ऑडियो रिकॉर्डिंग से पढ़ाई की जो मेरे लैपटॉप में रहती थीं। किताबों के पन्नों को स्कैन करके इन्हें ऑडियो में तब्दील करने के बाद मैं इन्हें समझ पाती थी। मुश्किले आईं लेकिन कभी खुद को अपने सपने से दूर नहीं होने दिया।
हाल ही में ओडिसा की लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की। ओडिशा में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब किसी दृष्टिबाधित उम्मीदवार ने सिविल सर्विसेस एग्जाम पास किया है। 2017 में ओडिशा सिविल सर्विसेस परीक्षा में आठ दृष्टिबाधित लोग पास हुए थे।
ऐसे हासिल करें सफलता
जब आप कोई लक्ष्य तय करते हैं और उसे पाने में बार-बार असफलता हाथ लगती है तो निराश मत हों। अपने असफल होने की वजह तलाशें। जो भी कमी या खामी नजर आए उसे ही अपना सबसे मजबूत पक्ष बनाकर आगे बढ़ें।
दुनियाभर की महिलाओं को मेरा संदेश
जीवन में कभी भी निराश महसूस न करें। अपने दिल की सुनें, दूसरों की नहीं। हर इंसान की लाइफ में अच्छी-बुरी दोनों घटनाएं होती हैं। कोई ऐसा नहीं है जिसने सिर्फ अच्छा समय जिया हो या सिर्फ बुरा समय देखा हो। सारा ध्यान बुरे समय को अच्छे में बदलने में लगाएं। बुरा समय वापस न आए इसकी कोशिश करते रहें। मेहनत करते रहें, आगे बढ़ते रहें।
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