एजुकेशन डेस्क. लैंगिक समानता के क्षेत्र में सुधार के बावजूद आज भी करीब 90% लोग ऐसे हैं, जो महिलाओं के प्रति भेदभाव या पूर्वाग्रह रखते हैं। 28% लोगों ने तो पत्नी की पिटाई तक को जायज बताया है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की अपनी तरह के पहले जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स में हुआ है। इसे दुनिया की 80% आबादी वाले 75 देशों में अध्ययन के आधार पर बनाया गया है। इंडेक्स के मुताबिक आधे से ज्यादा लोग मानते हैं कि पुरुष श्रेष्ठ राजनेता होते हैं, जबकि 40% के मुताबिक पुरुष बेहतर कारोबारी एग्जीक्यूटिव होते हैं, इसलिए जब अर्थव्यवस्था धीमी हो तो इस तरह के काम या नौकरियां पुरुषों को मिलनी चाहिए। हालांकि 30 देशों में महिलाओं के प्रति सोच सुधरी है।
दुनिया के सिर्फ 10 देशों में सत्ता की प्रमुख महिलाएं
यूएन के मानव विकास के प्रमुख पैड्रो कॉन्सिकाओ ने कहा- स्कूलों में लड़कियों की संख्या लड़कों के बराबर हो गई है। 1990 के बाद से मातृत्व से जुड़ी बीमारियों से मौतों की संख्या भी 45% घटी है। इसके बावजूद लैंगिक असमानता बनी हुई है, खास तौर पर ऐसे क्षेत्रों में जहां ताकत या पावर से जुड़े पदों पर चुनौती मिलती हो। एक जैसे काम के लिए उन्हें पुरुषों से कम वेतन मिलता है। वरिष्ठ पदों पर पहुंचने के अवसर भी कम मिलते हैं। यूएनडीपी ने कहा है कि पुरुष और महिलाएं एक ही तरह से मतदान करते हैं, मगर दुनिया में महज 24% संसदीय सीटों पर महिलाएं चुनी गई हैं। 193 में से सिर्फ 10 देशों में सत्ता की प्रमुख महिलाएं हैं। पुरुषों की तुलना में वे ज्यादा घंटों तक काम करती हैं, फिर भी बहुत से कामों का उन्हें कोई मेहनताना भी नहीं मिलता।
इन देशों में सबसे ज्यादा भेदभाव
पाकिस्तान | 99.81% |
कतर | 99.33% |
नाइजीरिया | 99.33% |
मलेशिया | 98.54% |
ईरान | 98.54% |
भारत | 98.28% |
घरेलू कामों की सैलरी मिलती, तो पिछले साल 774 लाख करोड़ कमा लेतीं
ऑक्सफैम के मुताबिक महिलाओं को बच्चों की देखभाल, खाना पकाने जैसे घरेलू कामों के लिए न्यूनतम वेतन मिलता, तो वे पिछले साल 774 लाख करोड़ रुपए कमा लेतीं। यह फॉर्च्यून-500 में शामिल दुनिया की सबसे बड़ी 50 कंपनियों की कमाई के बराबर है। इनमें एपल, वॉलमार्ट, गूगल जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
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