लॉकडाउन में स्कूल बंद हैं। कुछ टीचरों की डयूटी स्कूलों में बंटने वाले खाने में जरूर लगी है। ऐसे में साउथ एमसीडी के स्कूलों में पढ़ाने वाली महिलाएं कपड़े के मास्क बनाने में जुटी हैं। महिला टीचर्स अब तक 3 हजार मास्क बनाकर बांट चुकी हैं। मास्क बनाने का सिलसिला अभी भी जारी है, ताकि मास्क ऐसी सभी कर्मचारियों तक पहुंच जाएं जो फिल्ड में काम कर रहे हैं। मास्क बनाने के काम में साउथ जोन की चेयरमैन तुलसी जोशी खुद भी लगी हुई हैं। मास्क बनाने का काम साउथ जोन के स्कूलों में काम करने वाली टीचर्स और शिक्षा विभाग का दूसरा स्टाफ कर रहा है।
25 अप्रैल से शुरू किया काम
मास्क वही टीचर्स बना रही हैं जिनके पास मशीन है और उन्हें थोड़ी-बहुत सिलाई आती है। मास्क बनाने का काम 25 अप्रैल से चल रहा है। ऐसी टीचर्स जिन्हें स्कूल आना पड़ रहा है वह स्कूल में ही मास्क बनाती हैं, जबकि अन्य टीचर्स अपने घर पर मास्क बनाती हैं। जिस कपड़े से टीचर्स मास्क बना रही हैं, वह कपड़ा एमसीडी को डोनेशन में मिल रहा है। साउथ जोन की चेयरमैन ने कहा कि आम जनता कोरोना महामारी के वक्त मदद करने के लिए आगे आ रही है। मास्क के लिए काफी कपड़ा हमें डोनेशन में आया है।
मेरी इच्छा है कि सभी जोन के कर्मचारियों को कपड़े के मास्क मिल सकें: तुलसी जोशी
साउथ जोन की चेयरमैन तुलसी जोशी ने कहा कि लॉकडाउन के वक्त हम भी अपने कोरोना वॉरियर्स के लिए कुछ कर सकें। यही सोचकर कपड़े के मास्क बनाकर कर्मचारियों में बांटने का फैसला किया गया। अलग-अलग रंग के कपड़े से मास्क बनाए जा रहे हैं। मास्क सफाई कर्मचारी और जिनकी फील्ड में ड्यूटी है, उन्हें दे रहे हैं। साउथ जोन में 24 वार्ड हैं। मेरी इच्छा है कि सभी जोन के कर्मचारियों को कपड़े के मास्क दिए जा सकें। कपड़े के मास्क का फायदा यह है कि इसे धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। 3 हजार मास्क बनाकर वितरित कर दिए गए हैं। मास्क का बनाना अब भी जारी है। जैसे-जैसे मास्क बनते जाएंगे, हम कर्मचारियों को देते रहेंगे।
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