भोपाल (मध्यप्रदेश).भोपाल में देश कापहलाई- वेस्ट क्लीनिक बनने जा रहाहै। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) और नगर निगम के बीच इस पर सहमति बन गई है। नगर निगम आयुक्त बी विजय दत्ता ने बताया कि इस क्लीनिक पर ई- वेस्ट यानीकम्प्यूटर से लेकर मोबाइल और चार्जर तक की प्रोसेसिंग की जाएगी। जिस ई- वेस्ट की प्रोसेसिंग संभव नहीं होगी उसका उपयोग ‘कबाड़ से जुगाड़’ में किया जाएगा और कलाकृति आदि बनाई जाएगी।
ई- वेस्ट क्लीनिक संचालित करने वाला भोपाल देश में पहला नगर निगम होगा। तीन महीने तक पायलट प्रोजेक्ट के तहत ट्रायल किया जाएगा। सीपीसीबी दिल्ली से आए डायरेक्टर विनोद कुमार बाबू और एडिशनल डायरेक्टर आनंद कुमार ने नगर निगम आयुक्त बी विजय दत्ता से चर्चा के बाद देश का पहलाई- वेस्ट क्लीनिक भोपाल में खोलने पर सहमति जताई। आयुक्त दत्ता ने बताया कि निगम इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों के साथ एमओयू करेगा। इस एमओयू के तहत निगम ई- वेस्ट कलेक्ट करेगा और यह कंपनियां अपने प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग इस क्लीनिक पर करेंगी।
दो साल पहले ‘कबाड़ से जुगाड़’ के तहत रेडियो लगाया था
क्लीनिक सेनिकलने वाला प्लास्टिक भी रीसाइकिल होगा,जो मटेरियल किसी काम का नहीं होगा उसका उपयोग सजावट आदि की सामग्री बनाने में होगा।निगम दो साल पहले ‘कबाड़ से जुगाड़’ के तहत रोशनपुरा चौराहा पर रेडियो लगा चुका है। इस रेडियो पर स्वच्छता के संदेश प्रसारित होते हैं। इस एमओयू से पहले सीपीसीबी के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने नगर निगम के ट्रांसफर स्टेशनों सहित मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर और भानपुर स्थित प्लास्टिक रिकवरी सेंटर आदि का निरीक्षण किया।
- हकीकत: भोपाल के हर घर में 4 किलो से ज्यादा ई-वेस्ट मौजूद है
- हर साल: भोपाल से 435 मीट्रिक टन ई-वेस्ट निकल रहा है और इसमें हर साल 12 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है
- पेनाल्टी: ई-वेस्ट खुले में फेंकने या कबाड़ी को बेचने पर 3 लाख तक की पेनाल्टी या एक साल जेल हो सकती है
ई वेस्ट कलेक्शन सेंटर भी खुलेंगे
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स2016 के तहत नगर निगम को ई- वेस्ट कलेक्शन सेंटर खोले जाना हैं। अब तक भोपाल में कोई कलेक्शन सेंटर नहीं है। सीपीसीबी के अफसरों ने कहा कि भविष्य की प्लानिंग को देखते हुए भोपाल में ई- वेस्ट कलेक्शन और प्रोसेसिंग सेंटर की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं।
असर:ई- वेस्ट से कई तरह काखतरा
जब हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों यानि कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, प्रिंटर्स, फोटोकॉपी मशीन, इन्वर्टर, यूपीएस, एलसीडी/टेलीविजन, रेडियो, ट्रांजिस्टर, डिजिटल कैमरा आदि को लम्बे समय तक उपयोग के बाद खराब हुए उपकरण को ई-वेस्ट कहा जाता है। असुरक्षित तरीके ई-कचरे को रिसाइकल करने के दौरान निकलने वाले रसायनों के संपर्क में आने से स्किन डिसीज, लंग कैंसर के साथ नर्वस सिस्टम, किडनी, हार्ट और लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है।
2012 में पांच स्थानों पर ई- वेस्ट कलेक्शन शुरू हुआ था
इस ई- वेस्ट को खुले में फेंकने पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। 2012 में नगर निगम ने शहर में पांच स्थानों पर ई- वेस्ट कलेक्शन सेंटर शुरू किए थे,लेकिन यह कुछ ही समय में बंद हो गए। 2015 में एनजीटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि ई- वेस्ट कलेक्शन सेंटर खोले जाएं। इसके बाद इंदौर में तो ऐसा सेंटर खुला, लेकिन भोपाल इससे अछूता ही था और भोपाल का ई- वेस्ट या तो दफ्तरों और घरों में पड़ा हुआ है या वह साधारण कचरे मेंपहुंच रहाहै।
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