अगर हम बालकनी के इतिहास की बात करें तो400 बीसी तक ग्रीस में बालकनी बनना शुरू हो गई थी- मकसद था घर में हवा और प्राकृतिक रोशनी बढ़ाना।
इसके बाद प्राचीन इजिप्ट में ‘पैलेस बालकनी’ बनना शुरू हुईं। इनका डिजाइन ‘थिएट्रिकल सेटिंग’ जैसा होता था, जहां खड़े होकर लीडर्स किसी खास विषय के बारे में लोगों को संबोधित करते थे। लॉकडाउन के चलते एक बार फिरउन घरों में बालकनी का महत्व बढ़ा है जो ग्राउंड फ्लोर पर न होकर अपार्टमेंट के फ्लैट में रहते हैं।
ये लोग बालकनी को अलग-अलग तरह से मोडिफाई कराने पर विचार कर रहे हैं।यहां जानिए अलग-अलग तरह की बालकनी को मेंटेनकरने का तरीका।
1. क्लोस्ड बालकनी
बंद बालकनी में रोशनी और हवा कम होती हैलेकिन यह प्राइवेसी देती है। इसे साफ़ करना भी आसान होता है। ऐसे शहर में हैं जहां ठंड और गर्मी ज्यादा पड़ती है, वहांबालकनी को बंद करवाना उचित है।
2. ओपन बालकनी
खुली बालकनी में शोर बहुत सुनाई देता है, जो आपको हमेशा अच्छा नहीं लगता।यहां धूल इकट्ठी हो जाती है और नियमित सफाई की जरूरत होती है। खुली बालकनी में रखी हर चीज वॉटर और वेदर प्रूफ होनी चाहिए। यहां कॉफी कॉर्नर, गार्डन, किड्स प्ले एरिया, स्विंग चेयर रख सकते हैं।
3. बजट
बड़ी बालकनी कीफ्लोरिंग में आर्टिफिशियल ग्रास, वुड, टाइल्स की कीमत ज्यादा होती है, जिससे बजट बढ़ सकता है। इसकीदीवार पर टेक्स्चर पेंट, मोजै़क टाइल्स अच्छे लगतेहैं। फर्नीचर में वुड, प्लास्टिक, विकर, एल्युमिनियम सूट करेंगे।
4. ड्रेनेज
बालकनी की डिजाइन ड्रेनेज सिस्टम पर भी निर्भर करती है। बालकनी के बनने के दौरान ही ड्रेनेज और पाइपिंग आउटलेट लग जाते हैं। इसके बाद बदलाव मुश्किल हो सकता है। इसलिए बालकनी बनवाते समय इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
5.वेदरप्रूफ और वॉटरप्रूफ फर्नीचर
विकर सेट, कास्ट आयरन, रॉट आयरन बेंच, एक्रिलिक कुशन, सेडार, यूकेलिप्टस, टीक फर्नीचर खुली बालकनी में रख सकते हैं। इससे बालकनी की शान बढ़ जाती है। हालांकि मौसम के अनुसार इसे वहां से हटा दें वरना ये खराब भी हो सकते हैं।
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