जब ससुराल की बात आती है तो स्वभाविक ही हमारे दिमाग में कुछ प्रश्न आते हैं जैसे कैसे अपने जीवनसाथी के साथ मेलजोल बैठेगा? सास से कैसे सामंजस्य बनाकर चलेंगे? पर एक रिश्ता और है जो इतना ही महत्वपूर्ण और निभाने योग्य है और वो है पिता तुल्य ससुरजी से रिश्ता। यदि दोनों के द्वारा कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए तो ये संबंध भी एक बेटी और पिता के रिश्ते की तरह ही संजोया जा सकता है।
बहू करें ये 4 काम
सम्मान देना सीखें : किसी भी रिश्ते की मजबूती का आधार होता है एक-दूसरे को सम्मान देना और जहां तक हमसे उम्र में बुजुर्गों की बात है तो ये स्वभाविक हो ही जाता है। अतः उनका तथा उनकी बातों का आदर करें और इस रिश्ते की मर्यादाओं का हर संभव पालन करें। ध्यान रहे सम्मान देने के पश्चात ही सम्मान मिलने की आशा की जा सकती है। हम उन्हें पिता की तरह आदर और सम्मान नहीं देंगे तो हमें भी उनसे सम्मान की उम्मीद नहीं रखना चाहिए।
मार्गदर्शन लेते रहें :
जब जरूरी हो उनसे सुझाव तथा मार्गदर्शन लेते रहें। बहुत बार हम पारिवारिक स्तर पर या अपने काम के चलते ऐसे उलझ जाते हैं जब हमें किसी अनुभवी व्यक्ति के मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यदि हम किसी अपने की ही मदद ले लें तो हमें जीवन में उनका महत्व समझ में आता है। वैसे भी अनुभवों से मिले मार्गदर्शन से लक्ष्य प्राप्ति आसान होती है। इसलिए जब जरूरत पड़े तो उन अनुभवों से मार्ग को प्रशस्त करने में ही समझदारी है।
कुछ समय बिताएं :
ससुर जी के साथ अपेक्षित समय बिताएं और उनकी जरूरतों का ध्यान रखें। इससे उनकी पसंद-नापसंद और जरूरतों के बारे मे पता चलता है। इस तरह उनका ख्याल रखकर उन्हें अपनत्व का अहसास कराया जा सकता है। उनकी छोटी-छोटी आदतों पर गौर करें तब ही आपको उनके बारे में बारीकी से पता चलेगा। एक बार स्वभाव समझ में आने पर आप उनका सही तरह से ध्यान रखकर उनके दिल में खास जगह बना सकती हैं।
आभार व्यक्त करें :
बहुत बार हमें लगता है कि हमारे किसी खास कार्य ने दिल को सुकून दिया है। ऐसे में कोई व्यक्ति हमारी सराहना कर दे तो हमें उससे और अधिक प्रेरणा मिलती है। इसी तरह हमें भी हमारे ससुरजी की प्रशंसा करना चाहिए। उनके प्रति आभार व्यक्त करते रहना चाहिए। परिवार में एक पिता ही है जो न अपना त्याग व्यक्त करते हैं और न ही समर्पण। उनके इस मौन को हमेशा ध्यान रखें और इसका सम्मान करें।
ससुरजी करें ये 4 काम
अधिकार और आदर दें : बहू जब नए घर आती है तो स्वभाविक ही मन में अपने परिवार को छोड़ने और नए परिवार को अपनाने का असमंजस लेकर आती है। ऐसे में यदि उसे बेटी जैसा ही भाव ससुराल में मिल जाए तो ये सफर उसके लिए आसान हो जाता है। जहां तक ससुर जी की बात है तो जैसे बेटियां पिता के सबसे करीब होती हैं, वैसा ही प्रेम उन्हें यदि ससुर से मिल जाए तो वो निःस्वार्थ होकर अपने आपको परिवार को समर्पित कर देती हैं।
व्यवस्था से रूबरू कराएं :
अपनी बहु को समझने की कोशिश करें और उसे परिवार की स्थापित परंपराओं से अवगत कराएं। यदि आप अपने तथा परिवार के अच्छे भविष्य की कल्पना करते हैं जिसमें एकता, प्यार, संस्कार भरपूर हो तो ससुर होने के नाते एक पिता की तरह बहु से बातचीत करें और अपनी व्यवस्थाओं से उसे रुबरू करवाएं। उसे अपनापन देने का प्रयास करें। आपके छोटे-छोटे प्रयास उसका दिल जीत लेने के लिए काफी होंगे।
तारीफ करते रहें :
दिनभर एक जैसे कार्य करने और भागते-दौड़ते रहने से इंसान शारीरिक ही नहीं कभी-कभी मानसिक रूप से भी थक जाता है। ऐसे मे कभी-कभार आपका उचित जगह बहु की तारीफ करना या उसके कार्य में मदद कर देना उसके मनोबल बढ़ाने जैसा है। अपनी बहु को ये महसूस करवाएं कि वह परिवार के लिए कितनी महत्वपूर्ण है और उसके विशेष दिनों जैसे जन्मदिन या शादी की सालगिरह को याद रख और मनाकर भी ये भावना जता सकते हैं।
समझदारी बनाए रखें :
एक लड़की के पिता से ये उम्मीद की जाती है कि उसे हर हाल में लड़की के ससुराल वालों को सबसे ऊपर रखना है। भरपूर सम्मान और समय देना है तो यदि उसी तरह आप बहु के परिवार वालों को उचित सम्मान और वक्त देते रहेंगे तो निश्चित ही आपकी बहु के मन को ये बात हमेशा सुख देगी। आपके मान और सम्मान को भी वो सर्वोपरि रखेगी। इस तरह कलह की नौबत ही नहीं आएगी।
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