लाइफस्टाइल डेस्क. रिलेशनशिप में आना जितना आसान लगता है उससे कहीं ज्यादा इसे निभाना होता है। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने पार्टनर की ज़रुरतों और उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जिससे रिश्ते खराब होने लगते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं ऐसी ही कुछ बातों का जवाब..
सवाल-मैं मेरी गर्लफ्रेंड के साथ लिव इन रिलेशनशिप में 3 साल से था। अब हमारी पढ़ाई खत्म हो चुकी है। मैं उससे शादी करना चाहता हूं, लेकिन वह लिव इन को जरूरत बताते हुए रिश्ता नहीं चाहती, क्या करूं?-कमल एस, भोपाल
एक्सपर्ट का जवाब- लिव इन कोई वैवाहिक समझौता नहीं है। इसलिए अगर आपकी पार्टनर आपके साथ आगे संबंध नहीं बनाए रखना चाहती तो जबरदस्ती न करें। वैसे भी आप लोग जब से साथ रह रहे हैं वह काफी नाजुक उम्र थी। अभी भी आप उसके आकर्षण से निकल नहीं पाए हैं, इसलिए कोशिश करें। समझदारी से काम लेते हुए भविष्य के बारे में सोचें। ऐसा कोई कानून नहीं है कि अगर आप दोनों साथ रह रहे थे तो भविष्य में भी साथ ही रहना होगा। प्यार, आकर्षण और जरूरत तीनों अलग विषय हैं, इनके बारे में समझते हुए ही कोई निर्णय लें वरना उम्र निकल जाने पर पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं आता है।
सवाल- मैं पूजा-पाठ में यकीन रखती हूं, जबकि मेरे पति खुले विचारों के हैं। वैसे तो कई बार विचारों को लेकर मतभेद होता है, लेकिन खासतौर से उन दिनों में जब मैं पीरियड से होती हूं। मैं ऐसे समय में रसोई नहीं जाती। काम बाई से ही कराना पड़ता है, जिसे लेकर पति चिढ़े रहते हैं, क्या करूं?-रश्मि पी, इंदौर
एक्सपर्ट का जवाब- आपने जिन दिनाें की बात की है वह कुदरती है। इसलिए सबसे पहले तो यह बात मन से निकाल दें कि आप अपवित्र हैं, या उन दिनों में कोई शुद्ध काम करने से आपको पाप लगेगा। अगर बात ईश्वर की ही की जाए तो ईश्वर वही है जो उस पर आस्था रखने वालों की गलतियों को माफ करे। आप और आपके पति अकेले रहते हैं, इसलिए उनका ध्यान रखते हुए उनकी भी भावनाओं का सम्मान करें। वह बाकी किसी चीज के लिए आपको नहीं रोक रहे तो आप भी उनकी छोटी-मोटी बातों को इग्नोर न करें। शारीरिक संरचना प्रकृति की दी हुई है, इस पर अपने विचार थोपकर मनगढ़ंत बातें और भ्रांतियां न पालें। अच्छा होगा इस तरह की बात पर बहस करने के बजाय समझदारी से काम लें और वक्त के साथ अपनी सोच बदलें।
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