लाइफस्टाइल डेस्क. दुनिया में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो हजारों साल पुराने हैं। इन स्थानोंं का अपना समृद्ध इतिहास है। ऐसी ही प्राचीन विरासतों को समेटे हुए टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से एक है दक्षिण अमेरिकी देश पेरू का माचू पिच्चू पर्वत।
15 वीं शताब्दी में सतह से 2430 मीटर ऊपर यानी एक पहाड़ी के ऊपर बने एक शहर में रहना और उस शहर को बनाना अपने आप में अजूबा ही है। दक्षिण अमेरिका में एंडीज पर्वतों के बीच बसा ‘माचू पिच्चू शहर’ पुरानी इंका सभ्यता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
पेरू में स्थित माचू पिच्चू को 1981 में पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया और 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की दर्जा दिया गया, क्योंकि इसे स्पेनियों ने इंकाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद भी नहीं लूटा था। इसलिए इस स्थान का एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विशेष महत्व है। इसे एक पवित्र स्थान भी माना जाता है, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। पर्यटकों की आवाजाही बढ़े, इसलिए इस पुराने स्थल को नए सिरे से तैयार किया गया।
कहां रुकें : यहां आपको हर रेंज में होटल रूम मिल जाएंगे। एक दिन के हिसाब से 2 हजार से 25 हजार के बीच रूम्स उपलब्ध हैं।
कैसे पहुंचें : माचू पिच्चू का करीबी अंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट क्यूस्को है। यहां के लिए बेंग्लुरु, चेन्नई और मुंबई से दो या दो से अधिक स्टॉपेज वाली फ्लाइट्स मिल जाएंगी। इसका किराया सामान्यत: 1.50 लाख रुपए के आसपास है।
जाॅर्डन का ‘पेट्रा’
ऐतिहासिक शहर पेट्रा अपनी विचित्र वास्तुकला के लिए दुनिया के सात अजूबों में शामिल है। यहां तरह-तरह की इमारतें हैं, जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं। सभी पर बेहतरीन नक्काशी की गई है। इसमें 138 फीट ऊंचा मंदिर, नहरें, पानी के तालाब तथा खुला स्टेडियम है। ‘पेट्रा’ जॉर्डन के लिए विशेष महत्व रखता है, क्याेंकि यह उसकी कमाई का जरिया है। ‘पेट्रा’ पर्यटन के लिहाज से जॉर्डन के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी माना जाता है। जाॅर्डन पर्यटन बोर्ड (जेटीबी) के अनुसार जार्डन जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में साल 2016 में 18.40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल से जॉर्डन जाने वाले भारतीय लोगों को मुफ्त वीजा की सुविधा प्रदान की जाती है।
चिचेन इत्जा, मेक्सिको
मेक्सिको में बसी चिचेन इत्जा नामक यह इमारत दुनिया में माया सभ्यता के गौरवपूर्ण काल की गाथा गाती है। उस समय के कुशल कारीगरों की मेहनत को यह इमारत अपने आप में संजोए हुए है। शहर के बीचोंबीच कुकुलकन का मंदिर है जो 79 फीट की ऊंचाई तक बना है। इसकी चार दिशाओं में 91 सीढ़ियां हैं। प्रत्येक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक है और 365 वां दिन ऊपर बना चबूतरा है।
रोम का कॉलोसियम: आज भी खास है यह स्टेडियम
यह एक विशाल खेल स्टेडियम है, जिसे लगभग 70 ईसवीं में सम्राट वेस्पेसियन ने बनाना शुरू किया था। करीब 8 से 10 साल में यह बनकर तैयार हुआ था। इसमें हजारों लोग इकट्ठे होकर जंगली जानवरों और गुलामों की लड़ाइयों के खेल देखते थे। इस स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते थे। अपनी अलग ही खूबियों के कारण इस स्टेडियम की नकल करना आज तक नामुमकिन है। दुनिया के अजूबों में से एक यह स्टेडियम इंजीनियरों के लिए अब तक यह एक पहेली बना हुआ है।
ऐतिहासिक स्मारकों और धरोहरों का भारतीय अजूबा Hampi, Karnataka
कर्नाटक में स्थित हम्पी को भारत के सात आश्चर्यों में से एक माना जाता है। यह मंदिर का शहर है, जिसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का भी दर्जा दिया है। हम्पी में बहुत से ऐतिहासिक स्मारक और धरोहरे हैं। देश और दुनिया से बड़ी संख्या में पर्यटक इस ऐतिहासिक महत्व रखने वाली जगह आते हैं। 2014 के सांख्यिकी आंकड़ों ंके अनुसार, हम्पी गूगल पर खोजी जाने वाली कर्नाटक की सबसे प्रसिद्ध जगह है।
यह अपने समय में दुनिया के सबसे विशाल और समृद्ध गांवों में से एक था। यह विजयनगर शहर के खंडहरों में ही स्थित है। यह जगह कभी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। हम्पी धर्म के लोग भी विजयनगर में ही रहते थे और उन्होंने अपने साम्राज्य में विरूपाक्ष मंदिर और बहुत से ऐतिहासिक स्मारकों का निर्माण भी किया था। 1500 ईस्वी के आस-पास विजयनगर में करीब 5 लाख लोग रहने लगे थे। उस समय यह बीजिंग के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर था और यह पेरिस की तुलना में कुल 3 गुना बड़ा है। हम्पी के खंडहरों की खोज सन 1800 में कर्नल कोलिन मच्केंजि ने की थी।
अद्भुत आर्किटेक्चर
इस जगह का महत्त्व एेतिहासिक और वास्तुकला दोनों रूप में है। यह जमीन पूरी तरह से विशालकाय पत्थरों की है, जिसका उपयोग जैन देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए किया गया था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी इस जगह पर उत्खनन का काम कर कई बहुमूल्य रत्न और पत्थर खोजे हैं।
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