Sunday, 6 October 2019

दगड़ू सेठ मंदिर भंडारा नहीं करता, सरकारी अस्पताल में मरीजों को दोनों टाइम खाना, गर्भवती महिलाओं को लड्‌डू देता है

पुणे (मंगेश फल्ले).मंदिर यानी पूजा-पाठ, दान-दक्षिणा और चढ़ावा। लेकिन पुणे का दगडू सेठ हलवाई गणपति मंदिर थोड़ा अलग है। संभवत: किसी भक्त के नाम से पहचाने जाने वाला देश का यह एकमात्र मंदिर लोगों की सेवा में लगा है। दगडू सेठ हलवाई नाम के व्यक्ति ने सवा सौ साल पहले यह मंदिर बनवाया था। मंदिर हर साल करीब 15 करोड़ रुपए के सामाजिक काम करता है। हालांकि, अलग-अलग मंदिर ट्रस्टों के देश में कई अस्पताल हैं, लेकिन, दगडू सेठ मंदिर ने अलग अस्पताल बनाने के बजाए पुणे के सरकारी ससून अस्पताल को कर्मस्थली बना लिया है। मंदिर यहां रोज 1200 मरीजों को दोनों समय का खाना, चाय और नाश्ता देता है। मंदिर ने 2016 में यहां गर्भवती महिलाओं के पांच वार्डों का नवीनीकरण किया। साथ ही 70 शिशुओं की क्षमता वाला एनआईसीयू और आईसीयू बनाया। ट्रस्ट मरीजों के तीमारदारों के रहने-खाने का इंतजाम भी करता है।

ट्रस्ट के महेश सूर्यवंशी बताते हैं कि 20 साल से मंदिर सामाजिक काम कर रहा है। जैसे-जैसे मंदिर का चढ़ावा बढ़ता गया, वैसे-वैसे काम भी। 2012 से हम अस्पताल में मरीजों और उनके साथ आए लोगों को भोजन और नाश्ता दे रहे हैं। मंदिर महाप्रसाद (भंडारा) का आयोजन नहीं करता, इसके स्थान पर हर साल साढ़े तीन करोड़ रुपए का अन्नदान करता है। हम 500 गर्भवती महिलाओं को रोज मूंगफली के लड्डू बांटते हैं।

ट्रस्टी हेमंत रासने बताते हैं कि सूखागस्त पुरंदर तहसील के निवली, पवारवाड़ी, नलवड़ेवाड़ी, पिंगोरी गांवों में ट्रस्ट ने बीते साल पशुओं के लिए चारे का इंंतजाम किया था। पिंगोरी में नए तालाब बनाए और पुराने तालाबों की गाद निकाली। आज गांव में 51 करोड़ लीटर पानी संग्रहित किया जा सकता है। हमने 80 एकड़ जमीन पर ड्रिप इरिगेशन में भी मदद की है। 2016 में ट्रस्ट ने पुणे के 500 गणेश मंडलों के साथ खड़कवासला डैम से गाद निकाली थी। मंदिर ने हाल ही में सांगली, कोल्हापुर में बाढ़ से प्रभावित एक गांव गोद लेने का फैसला किया है। गांव में 10 करोड़ रुपए के काम किए जाएंगे। सरकार जिस गांव में कहेगी, वहां काम किया जाएगा।

550 गरीब बच्चों की पढ़ाई करा रहा, हर बच्चे पर सालाना 18-20 हजार खर्च
जय गणेश ज्ञानवर्धन अभियान के तहत मंदिर के ट्रस्ट ने 550 गरीब विद्यार्थियों की शिक्षा का जिम्मा उठाया है, जिसमें हर बच्चे पर 18 से 20 हजार रुपए सालाना खर्च किया जा रहा है। अब तक दो हजार से ज्यादा बच्चों की ट्रस्ट ने मदद की है। इंद्रापुर में पालाग्रस्त किसानों को 300 वर्गफीट के पक्के घर बनाकर दिए हैं। पुणे के येवलेवाड़ी में 300 परिवारों को अपने पैरों पर खड़ा करने में ट्रस्ट ने मदद की है। ट्रस्ट ने वारी मार्ग पर बरगद, पीपल, इमली और नीम के 50 लाख पौधे भी लगाए हैं।



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दगड़ू सेठ मंदिर
चढ़ावे से बना एनआईसीयू


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