मुंबई (विनोद यादव). मुंबई के मशहूर टाटा कैंसर हॉस्पिटल की दूसरी तरफ फुटपाथ पर अक्सर कैंसर मरीजों और उनके रिश्तेदारों की मदद करता एक शख्स दिख जाता है। यह हैं हरखचंद सावला। इनका जीवन ज्योति कैंसर रिलीफ एंड केयर ट्रस्ट रोजाना 700 से अधिक लोगों को दोनाें वक्त का भोजन करवाता है। यह काम वे 27 साल से कर रहे हैं और इन वर्षों में करीब 10 लाख लोगों को मुफ्त भोजन करवा चुके हैं। एक गलती सुधारने की इच्छा से सेवा का यह सिलसिला शुरू हुआ था़
सावला बताते हैं कि उन दिनों मैं लोअर परेल मित्र मंडल से जुड़ा हुआ था और छोटे-मोटे कामों में लोगों की मदद करता था। एक दिन एक लड़की अपनी कैंसर पीड़ित मां को लेकर आई और इलाज के लिए जानकारी मांगी। मैं उन्हें लेकर अपने होटल के सामने टाटा मेमोरियल पहुंचा। पता चला कि यहां इलाज में बहुत खर्च हो जाएगा, तो उन्हें लेकर सायन अस्पताल चला गया। बाद में मुझे पता चला कि गलती से मैं उन्हें टाटा मेमोरियल में रियायती इलाज वाले विभाग के बजाए प्राइवेट विभाग में ले गया था और इस भूल के कारण उनका बहुत पैसा खर्च हो गया। मैंने उनसे माफी मांगी, लेकिन लड़की ने कहा कि मां की जान से बड़ी कोई चीज नहीं है। उस दिन से मैंने कैंसर पीड़ित मरीजों की मदद शुरू कर दी।
सावला ने बताया-मरीजों और उनके साथ आए लोगोंको मुफ्त भोजन कराने लगा
- "मैं दो-चार मरीजों और उनके तीमारदारों को मुफ्त भोजन कराने लगा। इस बीच मुफ्त भोजन करने वालों की संख्या बढ़ती गई। 12 वर्षों तक मैं अकेला यह काम करता रहा, लेकिन फिर लगा कि अपने सीमित संसाधनों से काम नहीं चलेगा, तो होटल किराए पर देकर धन जुटाया और जीवन ज्योति कैंसर ट्रस्ट शुरू किया। जरूरतमंदों को मुफ्त दवाएं देने के लिए मेडिसिन बैंक खोला है। वॉलेंटियर के तौर पर तीन डॉक्टर और तीन फार्मसिस्ट यहां रोज सेवाएं देते हैं। साथ ही कैंसरग्रस्त बच्चों के लिए खिलौना बैंक भी हमने बनाया है। ट्रस्ट फिलहाल 60 से ज्यादा सेवा गतिविधियां चलाता है।"
- "मुंबई के अलावा जलगांव, कोलकाता जैसे शहरों में ट्रस्ट के 12 सेंटर खोले गए हैं। हर रोज मुंबई के सेंटर में 5 मरीज मदद या मार्गदर्शन के लिए आते हैं। इन कामों के लिए धन का इंतजाम ट्रस्ट दान से करता है। ट्रस्ट ने संग्रह केंद्र खोले हैं, जहां लोग पुराने अखबार, रद्दी सामान दान करते हैंं। इन चीजों को रीसाइक्लिंग केंद्रों को बेचा जाता है। ट्रस्ट ने हाल ही में इगतपुरी में करीब 100 एकड़ जमीन खरीदी है। यहां 50 एकड़ जमीन में 100 बिस्तरों का हॉस्पिटल बनाने की योजना है। सावला बताते हैं ‘इस सेंटर में कैंसर के ऐसे मरीजों को रखा जाएगा, जिन्हें दूसरे अस्पताल भी रखने से मना कर देते हैं। इस सेंटर का मुख्य उद्देश्य सेवा है। इसके अलावा 100 गायों की गौशाला और एक ओल्ड एज होम भी इस जमीन पर बनाने की योजना है। इसी तरह एक नेचरोपैथी सेंटर, वर्किंग वुमन हॉस्टल और उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए मुफ्त लाइब्रेरी भी बनने वाली है। बचे हुए 50 एकड़ में ऑर्गेनिक खेती करने की योजना है। जल्द ही सरकार की ओर से मंजूरी मिलने की उम्मीद है।"
24 घंटे चलती है रसोई, लोगाें के भोजन पर रोज 25 हजार रु. खर्च
कैंसर रोगियों को दोनों वक्त का खाना मुहैया कराने वाली रसोई 24 घंटे चलती है। यहां 8 रसोइए काम करते हैं। सुबह 9 बजे खाना बनना शुरू होता है। 11 बजे तक बने हुए खाने की पैकिंग होती है। दोपहर एक बजे तक खाना बंटना शुरू हो जाता है। इसी तरह दूसरी शिफ्ट में दोपहर 3 बजे फिर खाना बनना शुरू होता है। शाम साढ़े 5 बजे तक पैकिंग का काम पूरा कर शाम 7 बजे से बंटने लगता है। खाने पर रोजाना 25 हजार रुपए खर्च होता है। हफ्ते भर के लिए सब्जियां और बाकी राशन एक बार में ही लोकल मार्केट से खरीदा जाता है। ट्रस्ट के मुंबई ऑफिस में 35 लोगों का स्टाफ है।
सुबह 8 से रात 10 बजे तक 14 घंटे रोगियों की सेवा में
दिन के 14 घंटे मानवसेवा में बिताने वाले सावला की दिनचर्या सुबह 5 बजे शुरू हो जाती है। सुबह लगभग 8 बजे से रात 10 बजे तक का उनका वक्त कैंसर पीड़ितों की सेवा में बीतता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2IMd1uk
No comments:
Post a Comment