गणेश चतुर्थी का इंतजार श्रद्धालु पूरे साल करते हैं। उनकी प्रतिमा को खरीदने के लिए कई दुकानों पर घूमना या श्री गणेश के आगमन की घर में कई तैयारियां करना तो हर साल होता है। लेकिन इस साल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप ने सभी त्योहारों का मजा कम किया है जिसमें से गणेश चतुर्थी भी एक है।
ऐसे मुश्किल हालातों में भी गणेश चतुर्थी के सेलिब्रेशन को बनाए रखने का काम मीता सुरैया अपने प्रयासों से कर रही हैं। गुड़गांव की रहने वाली मीता एक गोल्ड मेडलिस्ट स्कल्पटर आर्टिस्ट हैं।
कोरोना काल में लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मीता ने एक क्ले किट बनाई है जिसकी मदद से आप घर में गणेश जी की सुंदर प्रतिमा बना सकते हैं।
दिल्ली की रहने वाली मीता पिछले 11 सालों से गणेश भगवान की सुंदर प्रतिमा बना रही हैं। वे कहती हैं मिट्टी से बनी मूर्तियां ईको फ्रेंडली होने के साथ ही श्रीगणेश को सम्मान देने का सही तरीका भी है।
वैसे भी हर साल गणेश विसर्जन के समय कई क्लिंटल प्लास्टर ऑफ पेरिस समुद्र के किनारे फेंक दिया जाता है। इससे जल प्रदूषण बढ़ता है।
हर साल जब सुरैया ऑर्डर लेकर गणेश जी की प्रतिमा बनाती हैं तो वे लोगों को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं कि इन मूर्तियों को घर में टब या बाल्टी में ही विसर्जित करें। वे कहती हैं ''इस साल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर में गणेश विसर्जन करना वक्त की जरूरत भी है''।
मीता के अनुसार, ''घर में गणेश जी की प्रतिमा बनाना आसान है। इसे बनाने में लगभग 45 मिनट का समय लगता है। अगर आप इस काम को पहली बार कर रहे हैं तो हो सकता है आपको एक या डेढ़ घंटे का समय लगे''।
44 वर्षीय मीता के अनुसार, ''क्ले का साइज मैं लोगों को उनकी मांग के अनुसार देती हूं जो 6 से लेकर 18 इंच तक होता है''। मीता द्वारा डिजाइन की गई किट में इन प्रतिमाओं को बनाने के सारे निर्देश लिखे होते हैं।
इसके अलावा मीता ऑनलाइन वर्कशॉप के माध्यम से भी इन मूर्तियों को बनाना सीखाती हैं ताकि अधिक से अधिक लोग पर्यावरण बचाने के लिए मिट्टी के गणेश बना सकें।
इन मूर्तियों को सूखने में तीन या चार दिन का समय लगता है। उसके बाद इन्हें कलर किया जाता है। ऐसे कुछ कलर कॉम्बिनेशन हैं जिन्हें चुनकर आप सुंदर प्रतिमा बना सकती हैं। ये कलर हैं - गोल्डन, व्हाइट, रेड एंड ब्लैक, मड कलर, ब्लैक और व्हाइट, गोल्डन और रेड।
मीता कहती हैं ''गणेश चतुर्थी के अंत में जब इनके विसर्जन की बारी आती हैं तो आप इन्हें टब में रखकर सिर्फ 20 मिनट में विसर्जित कर सकते हैं। विसर्जित करने के बाद टब में रखे पानी और घुली हुई मिट्टी को पौधों में डाल दें''।
मीता को तब बहुत खुशी मिलती है जब कोई उन्हें मिट्टी के गणेश का इस तरह विसर्जन करते हुए फोटो भेजता है। इस तरह वे अपने प्रयासों के माध्यम से प्रकृति को बचाने का संदेश भी देती हैं।
मीता का कहना है कि कुछ ही दिनों में गणेश चतुर्थी का ये त्योहार तो खत्म हो जाएगा, लेकिन पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास हर हाल में पूरे साल जारी रहना चाहिए।
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