Wednesday, 11 March 2020

पैसे नहीं थे तो पढ़ने के लिए रोज चार किमी पैदल चलना पड़ा, अब रोबोटिक्स से लेकर ऑटोमेशन सिखा रहीं

वीमेन डेस्क. महाराष्ट्र का छोटा-सा शहर अकोला। यहां जन्मीं काजल प्रकाश राजवैद्य की कंपनी अब देश के नामी स्कूल-कॉलेजों व संस्थाओं को आधुनिक तकनीक में दक्ष कर रही हैं। छात्रों को खेल-खेल में रोबोटिक्स, ऑटोमेशन जैसी टेक्नोलॉजी सिखा रही है। महज 21 साल की उम्र में यानी वर्ष 2015 में काजल ने ‘काजल इनोवेशन एंड टेक्निकल सॉल्यूशन किट्स’ कंपनी स्थापित कर दी। यह भी तब जबकि उनके पास बिजनेस का अनुभव नहीं था। पिता एक पान ठेला चलाते थे। आमदनी ज्यादा होती नहीं थी इसलिए उन्होंने एक निजी बैंक के रैकरिंग एजेंट की नौकरी कर ली। काजल को चौथी क्लास तक जिला परिषद के स्कूल में पढ़ाया मगर घर की माली हालत ठीक न होने पर चार किलो मीटर दूर स्थित मनुताई कन्या शाला में दाखिल करा दिया गया। यहां लड़कियों से फीस नहीं ली जाती है। यहां काजल रोज पैदल जाती थीं।

दूरदर्शन पर रोबोट से जुड़ा एक शो देखकर इस फील्ड में जाने की ठानी

काजल की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट उस वक्त आया, जब उन्होंने दूरदर्शन पर रोबोट से जुड़ा एक शो देखा। उन्होंने संकल्प लिया कि अब वह भी एक दिन रोबोट बनाएंगी। कॉलेज की पढ़ाई के वक्त पिता की नौकरी छूट गई। घर-गृहस्थी और भी खस्ताहाल हो चली। फिर लोन लेकर जैसे-तैसे इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। यहां पर काजल ने नई टेक्नोलॉजी के लिए एक सिलेबस तैयार कर पुणे के कॉलेजों में जाकर छात्रों के साथ उसे शेयर किया। यहां असफलता हाथ लगी पर हार नहीं मानीं। अकोला लौटकर किसी तरह छिटपुट कामों से अपना खर्च निकालने लगीं। इसके साथ ही कोचिंग आदि से बचे समय में इंटरनेट के जरिए रोबोटिक्स सीखती रहीं।

देश के हर बीस में से एक टेक्नो-कमर्शियल पेशेवर को उनकी कंपनी ने ट्रेनिंग दी
कुछ समय बाद वह प्राइमरी स्कूलों में जाकर पांचवीं कक्षा के बच्चों की रोबोटिक्स वर्कशॉप लेने लगीं। यहीं से काजल ने कंपनी की शुरुआत कर दी। अब उनकी कंपनी महाराष्ट्र के सबसे बड़े तकनीकी-व्यावसायिक स्किल डेवलपमेंट सेंटर में से एक है। देश के हर बीस में से एक टेक्नो-कमर्शियल पेशेवर को उनकी कंपनी ने ट्रेनिंग दी है।

रोबोटिक्स व इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सर्विस देती हैं
काजल की कंपनी बच्चों को रोबोटिक्स, ऑटोमेशन, बॉयोमेडिकल इंस्ट्रुमेंट समेत विभिन्न सॉफ्टवेयर आधारित सर्विसेज की ट्रेनिंग देती है। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सर्विस भी मुहैया कराती है। इस समय यमन, सिंगापुर, अमेरिका तक कंपनी के क्लाइंट्स हैं। मुंबई में राष्ट्रीय रोबोटिक्स प्रतियोगिता में छात्रों को मात देकर संस्थान की छात्राएं जीत गईं। अब लड़कियां काजल के साथ, अमेरिका में भारत के प्रतिनिधित्व की तैयारी में जुटी हैं। काजल को बेस्ट आंत्रप्रेन्योर अवॉर्ड, यूएसए के टाइम्स रिसर्च अवार्ड और स्टार्टअप इंडिया के एग्रीकल्चर इनोवेशन अवार्ड मिल चुके हैं।



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Had no money, I had to walk four km every day to study, now teaching robotics to automation


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